दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस समेत अन्य एजेंसियों को डेयरी कॉलोनियों में ऑक्सीटोसिन के गलत उपयोग के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग से साप्ताहिक निरीक्षण कर मामला दर्ज करने को कहा और यह भी कहा कि इसकी जांच पुलिस द्वारा की जाएगी।
अदालत दिल्ली पुलिस के खुफिया विभाग से ऑक्सीटोसिन उत्पादन, पैकेजिंग और वितरण के स्रोतों की पहचान करने और कानून के अनुसार कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने दिए जांच के निर्देश
अदालत ने उक्त आदेश राष्ट्रीय राजधानी में डेयरियों की स्थिति से संबंधित सुनयना सिब्बल और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। साथ ही अदालत ने कोर्ट कमिश्नर द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया। कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि मवेशियों में दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में ऑक्सीटोसिन का उपयोग किया जा रहा है।
अदालत ने कहा कि ऐसे में जबकि ऑक्सीटोसिन देना पशु क्रूरता की श्रेणी में आता है और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम- 1960 की धारा -12 के तहत एक संज्ञेय अपराध है। ऐसे में मामले की जांच का निर्देश दिया जाता है।
खराब है डेयरी कॉलोनियों की स्थिति, की जानी चाहिए स्थानांतरित
अदालत ने यह भी कहा कि डेयरियों को उचित सीवेज, जल निकासी, बायोगैस संयंत्र, मवेशियों के घूमने के लिए पर्याप्त खुली जगह और पर्याप्त चारागाह वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। अदालत ने नोट किया कि कोर्ट कमिश्नर के अनुसार दिल्ली में सभी नौ नामित डेयरी कॉलोनियों – काकरोला डेयरी, गोयला डेयरी, नंगली शकरावती डेयरी, झारोदा डेयरी, भलस्वा डेयरी, गाजीपुर डेयरी, शाहबाद दौलतपुर डेयरी, मदनपुर खादर डेयरी और मसूदपुर डेयरी की स्थिति खराब था।
अदालत ने नोट किया कि गाजीपुर डेयरी और भलस्वा डेयरी सैनिटरी लैंडफिल साइटों के बगल में है। ऐसे में इन्हें स्थानांतरित करने की तत्काल आवश्यकता है। अदालत ने एमसीडी आयुक्त, एमसीडी पशु चिकित्सा निदेशक, दिल्ली के मुख्य सचिव, DUSIB CEO काे अगले सुनवाई पर पेश होने को कहा।