दिया कि वह एक पत्नी और बहू के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रही है और उस पर अधिक दहेज के लिए दबाव डाला। पीठ ने कहा कि FIR और चार्जशीट यह इंगित करती है कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप काफी अस्पष्ट, सामान्य और व्यापक हैं, जिनमें आपराधिक आचरण का कोई उदाहरण नहीं दिया गया है।
गौरतलब है कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे। इन कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिली थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर 25 दिसंबर को अपनी सहमति दी थी।