पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार और जमीन कब्जाने के आरोपों की जांच CBI को सौंप दी थी। अब CBI ने जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी, जिस पर अदालत ने संतोष व्यक्त किया है।

याचिकाकर्ताओं ने रखी यह दलील
याचिकाकर्ता और वकील प्रियंका टिबरेवाल ने दलील दी कि यौन उत्पीड़न की कुछ पीड़िताएं डर के कारण सच बोलने में संकोच कर रही थीं। इससे पहले उन्होंने कई सारी शिकायतें अदालत के सामने रखी थीं, जिनमें यौन हिंसा, भूमि हड़पने, हमले और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल थे।

अदालत ने CBI से उन मामलों को भी देखने को कहा, जहां शिकायतकर्ताओं ने पर्याप्त सुरक्षा मांगी है। अदालत ने कहा, ‘एक प्रमुख जांच एजेंसी होने के नाते उनके पास पीड़ितों का सही बयान दर्ज करने के लिए सभी संसाधन उपलब्ध हैं।’

एक अन्य याचिकाकर्ता और वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि संदेशखाली मामले में महिला CBI अधिकारियों को तैनात करने से कथित पीड़ितों को अधिक सहज महसूस करने और सच्चाई का खुलासा करने में मदद मिल सकती है। पीठ ने इसका फैसला CBI पर छोड़ दिया।

खंडपीठ ने इस साल 10 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट के पहले के आदेश का भी हवाला दिया, जहां राज्य सरकार को 15 दिनों के भीतर संदेशखाली सड़कों पर आवश्यक प्रकाश व्यवस्था करने के लिए कहा गया था।

इस शिकायत के आधार पर कि आवश्यक प्रकाश व्यवस्था के इस आदेश को राज्य सरकार द्वारा अभी तक लागू नहीं किया गया है, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आदेश के इस हिस्से का पालन नहीं करना अदालत की अवमानना होगा। मामले पर अगली सुनवाई 13 जून को होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page