सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में जजों के रूप में नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के नाम प्रस्तावित करने संबंधी जानकारी आरटीआई में देने से इंकार कर दिया।  गौरतलब हैं कि , एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने इस संबंध में पत्र लिखने का दावा किया था, जिसके बाद वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने सुप्रीम कोर्ट से आरटीआई के तहत इसकी जानकारी मांगी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने  तीसरे पक्ष की जानकारी होने के नाते  देने से मना कर दिया।  आरटीआई की धारा 8 (1)(ई) और धारा 11 (1) के प्रावधानों  के तहत इस जानकारी के संबंध में छूट दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार और सीपीआइओ अजय अग्रवाल ने कहा, ‘रिकार्ड में ऐसा कुछ उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। अत: कोई सूचना नहीं है।’


खालसा ने सीपीआइओ से एससीबीए की तरफ से 31 मई को भेजे गए पत्र के साथ ही ऐसा कोई आदेश, पत्र, दस्तावेज या अन्य संबंधित जानकारी मांगी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससीबीए के प्रस्ताव को मंजूरी देने की बात कही गई हो।



जजों की नियुक्ति में लगता है वक्त 



विदित हों कि , केंद्र सरकार ने जानकारी दी थी कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने पिछले एक साल में विभिन्न हाई कोर्ट में 80 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की। इनमें 45 जजों की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि बाकी प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं। कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया कि एक जुलाई, 2020 से 15 जुलाई 2021 तक सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 80 नामों की सिफारिशें कीं। इनमें 45 की नियुक्ति की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट जज की नियुक्ति की प्रक्रिया थोड़ी लंबी है। राज्य व केंद्र स्तर पर कई संवैधानिक प्राधिकारों से अनुमोदन लेना होता है। इसलिए, जजों की नियुक्ति में वक्त लगता है।


25 हाई कोर्ट में जजों के कुल 1,098 पद स्वीकृत हैं।  जानकारी के मुताबिक, 645 जज काम कर रहे हैं, जबकि 453 पद रिक्त हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए कोलेजियम ने 11 नामों की संस्तुति की, जिनमें सात की नियुक्ति हो चुकी है। दिल्ली हाई कोर्ट के लिए छह नामों की सिफारिश की गई थी, जिसमें से दो की नियुक्ति की गई है। 

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