बांबे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक पूर्व विधायक के बेटे की रिट याचिका को खारिज करते हुए 9 साल के बच्चे की कस्टडी उसकी मां को सौंप दिया। समाचार पत्रिका कि वेवसाइट के मुताबिक न्यायमूर्ति राजेश पाटिल ने अपने आदेश में कहा कि अवैध संबंध तलाक का आधार हो सकता है लेकिन बच्चे की कस्टडी लेने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि महिला का एक अच्छी पत्नी नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि वह एक अच्छी मां नहीं है।

फैमिली कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी थी याचिका

अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के जनवरी 2024 के उस फैसले पर भरोसा किया, जिसने एक पत्नी के विवाहेतर संबंध के आरोप साबित होने के बावजूद बच्चे की पिता को न सौंप कर उसकी कस्टडी को सौंप दिया था।  फैमिली कोर्ट से याचिका खारिज के बाद पूर्व विधायक के बेटे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

2010 में हुई थी शादी

आईटी पेशेवर याचिकाकर्ता ने डॉक्टर पत्नी से 2010 में शादी की। उनकी 2015 में एक बेटी हुई। पत्नी ने दावा किया कि उसे दिसंबर 2019 में अपने वैवाहिक घर से बाहर निकाल दिया गया था। हालांकि पति ने दावा किया कि वह खुद से चली गई थी। जनवरी 2020 में पत्नी ने अपने पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए के तहत पुलिस शिकायत दर्ज की और घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराया। फैमिली कोर्ट ने ने फरवरी 2023 में बेटी की कस्टडी महिला को दे दी।

कोर्ट ने कही ये बातें

पति ने नाबालिग बेटी की कथित परेशानी और पत्नी के कथित कई मामलों का हवाला देते हुए बेटी की कस्टडी मांगते हुए हाई कोर्ट का रुख किया। अदालत ने कहा कि पेशे से डॉक्टर पत्नी ने बेटी की शिक्षा का पूरा ध्यान रखा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक अच्छी पत्नी नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि वह एक अच्छी मां नहीं है। अदालत ने कहा कि लड़की की नानी उसकी देखभाल कर रही थी।

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