सुप्रीम कोर्ट से जेल में बंद टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य को एक राहत मिली है। अदालत ने गुरुवार को भट्टाचार्य को जमानत याचिका के समर्थन में कुछ दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय दिया है। बता दें, भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल में प्राथमिक स्कूल शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में जेल में बंद हैं।

भट्टाचार्य के वकील ने दी यह दलील
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने भट्टाचार्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा की इस दलील पर विचार किया कि वह कुछ दस्तावेज रिकॉर्ड पर लाना चाहते हैं। वहीं उनके वकील ने यह भी दलील दी कि वह सीबीआई के मुख्य मामले में भी आरोपी नहीं हैं।

पीठ ने कहा, ‘वरिष्ठ अधिवक्ता कुछ दस्तावेजों को दाखिल करने के लिए समय चाहते हैं। इसलिए दो सप्ताह का समय दिया जाता है।’

साल 2022 में किया था गिरफ्तार
ईडी ने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य को साल 2022 में 11 अक्तूबर के दिन कथित तौर पर जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह नादिया जिले की पलाशीपारा सीट से सत्तारूढ़ टीएमसी विधायक हैं। शीर्ष अदालत ने पहले पश्चिम बंगाल में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ भट्टाचार्य की याचिका को खारिज कर दिया था, यह देखते हुए कि ईडी की कार्रवाई अवैध नहीं थी।

शीर्ष अदालत ने 15 दिसंबर, 2023 को भट्टाचार्य की जमानत याचिका खारिज करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के 16 नवंबर के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर ईडी को नोटिस जारी किया था।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति का आदेश
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने अपने आदेश में कहा था कि जिस मुद्दे से संबंधित मामले की जांच जारी है, उसमें शामिल पीड़ितों की संख्या और आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है, जिसके साधन, स्थिति राज्य प्रशासनिक स्तर के साथ-साथ शिक्षा पर भी सवाल से परे हैं। विभाग, उनकी रिहाई, जांच के इस चरण पर प्रभाव डालेगी जब जांच को समाप्त करने के लिए माननीय डिवीजन बेंच द्वारा 31 दिसंबर 2023 की बाहरी सीमा तय की गई है, जो कि ईडी द्वारा की जा रही है।

अदालत ने कहा था कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से साधनों, स्थिति, वर्तमान याचिकाकर्ता की स्थिति, अपराध की गंभीरता के साथ-साथ जांच के चरण के संबंध में जो अंतिम चरण में है, मेरा विचार है कि यह है याचिकाकर्ता के लिए इस स्तर पर जमानत पर रिहा किया जाना उपयुक्त मामला नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ भट्टाचार्य की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि एजेंसी की कार्रवाई अवैध नहीं थी। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित धनशोधन के एक मामले में भट्टाचार्य के बेटे सौविक को 16 फरवरी को जमानत दे दी थी।

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