तेलंगाना हाईकोर्ट में वकील की तेज अवाज से जज साहब नाराज हो गए। नौबत यहां तक आ गई कि उन्होंने स्टेट बार काउंसिल से वकीलों को अनुशासन सिखाने के लिए भी कहा है। इतना ही नहीं चिल्लाकर बात करने या डराने वाले लहजे में बात करने वाले वकीलों को जज ने सलाह भी दी है कि इससे उनके करियर पर भी खतरा हो सकता है।

क्या था मामला

दरअसल, उच्च न्यायालय में एक केस के लिए पेश हुए वकील ने मामले को ‘ऊंची आवाज’ और ‘डराने वाली’ आवाज में पेश करने की कोशिश की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने वकील ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील के बर्ताव पर भी गौर किया था।

जस्टिस टी विनोद कुमार ने कहा कि अदालत में जजों को केस से रोकने के लिए तेज आवाज में बात करना वकीलों की आदत हो गई है। उन्होंने कहा, ‘यह ध्यान देने वाली बात है कि वकीलों की तरफ से ऐसा बर्ताव, जो न्याय को रोकता है वो एडवोकेट्स एक्ट की धारा 35 के तहत कदाचार की श्रेणी में आता है।’ उन्होंने कहा कि जो वकील ऐसे काम करते हैं, वह बेंच के साथ सामंजस्य और पेशेवर करियर को भी खतरे में डालते हैं।

कोर्ट में आदिबतला नगरपालिका के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी याचिका पहुंची थी। याचिका एक वार्ड सदस्य की तरफ से दाखिल की गई थी, जिसे अध्यक्ष पद से हटाया गया था। सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता इससे पहले भी दो बार कोर्ट पहुंच चुकी हैं। उस दौरान पहली याचिका को वपस ले लिया गया था और दूसरी खारिज हो गई थी।
नई याचिका पर भी कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने यह नहीं बताया कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिसके बाद वह अध्यक्ष पद से हट गईं थीं। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को बगैर जरूरी तथ्य पेश किए बार-बार कोर्ट आने की आदत है। ऐसे में उनपर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।

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