EDITED BY
Abhinav soni

अकसर लॉयर (Lawyer), एडवोकेट (advocate), बैरिस्टर (Barrister), अटॉर्नी जनरल (Attorney), प्लीडर (Pleader), इत्यादि के बारे में सुनने को कहीं न कहीं मिल ही जाता है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि इन सब में क्या अंतर होता है। क्या लॉयर और एडवोकेट एक ही व्यक्ति होते हैं या इनके अलग-अलग नाम हैं। क्या अटॉर्नी, सॉलिसिटर बनने के लिए लॉ (law) में डिग्री लेना आवश्यक होता है इत्यादि जैसे प्रश्नों को और शब्दावलियों को आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं।

लॉयर (Lawyer) कौन होता है?

लॉयर, वह होता है जिसके पास लॉ (law) की डिग्री होती है, जो कानून के क्षेत्र में प्रशिक्षित होता है और कानूनी मामलों पर सलाह और सहायता प्रदान करता है। यानी विधि स्नातक, कानून का जानकार। जिसने LLB की डिग्री ले ली हो, वह लॉयर बन जाता है। उसके पास कोर्ट में केस को लड़ने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन जैसे ही उसको Bar Council of India (BCI) से सनद मिलती है, वह BCI की परीक्षा को पास कर लेता है तो किसी भी कोर्ट में खड़े होने के लिए अधिकृत हो जाता है तब वह एडवोकेट बन जाता है।

LLB आखिर क्या होती है?

LLB को Legum Baccalaures जो कि एक लैटिन भाषा का शब्द है यानी Bachelor of Law भी कहते हैं। 12वीं क्लास के बाद या स्नातक करके भी बच्चे लॉ विकल्प को चुनते हैं और कानून से सम्बंधित ज्ञान को प्राप्त करते हैं। इन्हें वकील कहा जाता है।

अधिवक्ता / एडवोकेट (Advocate) कौन होते हैं?

एडवोकेट एक ऐसा शब्द है जिसे अधिवक्ता, अभिभाषक कहा जाता है। यानी आधिकारिक वक्ता जिसके पास किसी की तरफ से बोलने का अधिकार होता है, यहीं आपको बता दें कि एडवोकेट इंग्लिश में एक क्रिया है जिसका अर्थ है पक्ष लेना। एडवोकेट वह होता है जिसको कोर्ट में किसी अन्य व्यक्ति की तरफ से प्रतिपादन करने का अधिकार प्राप्त हो। आसान शब्दों में कहें तो एडवोकेट दूसरे व्यक्ति की तरफ से दलीलों को कोर्ट में प्रस्तुत करता है । अधिवक्ता बनने के लिए कानून (Law) की पढ़ाई को पूरा करना अनिवार्य होता है। यानी पहले लॉयर बनते हैं और फिर एडवोकेट ।

बैरिस्टर (Barrister) किसे कहते हैं?

यदि कोई व्यक्ति लॉ (law) की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त करता है तो उसे बैरिस्टर कहा जाता है। आपने पढ़ा भी होगा कि महात्मा गांधी के परिवार के लोग चाहते थे कि वह बैरिस्टर बने इसलिए वो 19 साल की उम्र में ही कानून की पढ़ाई करने के लिए लन्दन चले गए थे और वहीं पर उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री हासिल की थी। यानी बैरिस्टर एक तरह वकील का ही प्रकार होता है जो कि आम कानून न्यायालय में अपनी प्रैक्टिस करता है।

लोक अभियोजक (Public Prosecutor) किसे कहते हैं?

वह व्यक्ति जिसके पास लॉ (law) की डिग्री है, एडवोकेट होने की क्षमता है, जिसने BCI की परीक्षा को पास किया हुआ है और अगर ये व्यक्ति राज्य सरकार की तरफ से पीड़ित का पक्ष लेता है यानी विक्टिम की तरफ से कोर्ट में प्रस्तुत होता है तो इसे ही हम पब्लिक प्रोसिक्यूटर या लोक अभियोजक कहते हैं। CrPC का सेक्शन 24 के 2 (u) में लोक अभियोजक के बारे में बताया गया है। लोक अभियोजक एक ऐसा व्यक्ति है जिसे आपराधिक मामलों में राज्य की ओर से मामलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा CrPC के प्रावधानों के तहत नियुक्त किया जाता है।

लोक अभियोजक की मुख्य भूमिका जनता के हित में न्याय दिलाना होता है. सरकारी अभियोजक का काम तब शुरू होता है जब पुलिस ने अपनी जांच समाप्त कर कोर्ट में आरोपी के खिलाफ चार्ज शीट दायर की हो। सरकारी वकील से अपेक्षा की जाती है कि वह निष्पक्ष रूप से कार्य करे और मामले के सभी तथ्यों, दस्तावेजों, और साक्ष्य को प्रस्तुत करे ताकि सही निर्णय पर पहुंचने में अदालत की सहायता की जा सके।

प्लीडर (Pleader) किसे कहते हैं?

अगर ये ही डिग्री धारी या ये ही एडवोकेट, प्राइवेट पक्ष की तरफ से कोर्ट में आता है तो बन जाता है प्लीडर। इसे अभिवचन करता भी कहते हैं। प्लीडर दरअसल वह व्यक्ति होता है जो अपने मुवक्किल की ओर से कानून की अदालत में याचिका दायर करता है और उसकी पैरवी करता है। सिविल प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) 1908 में धारा 2 (7) के तहत एक सरकारी याचिकाकर्ता भी बनता है, जो राज्य सरकार द्वारा सिविल प्रोसीजर कोड 1908 के अनुसार, सभी सरकारी कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता है। यानी सरकार के निर्देशों के तहत कार्य करने वाला कोई भी अभिवचन कर्ता ।

महाधिवक्ता (Advocate General) किसे कहते हैं?

एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास लॉ (law) की डिग्री है, जिसके पास एडवोकेट होने की क्षमता है और अगर वह राज्य सरकार की तरफ से उनका पक्ष रखने के लिए कोर्ट में आता है तो उसे महाधिवक्ता (Advocate General ) कहा जाता है। भारत में, एक एडवोकेट जनरल राज्य सरकार का कानूनी सलाहकार होता है। इस पद को भारत के संविधान द्वारा बनाया गया है। यहीं आपको बता दें कि प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, महाधिवक्ता, एक ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करता है, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए योग्य हो।

महान्यायवादी (Attorney General) किसे कहते हैं?

अगर ये ही व्यक्ति जिसके पास लॉ की डिग्री है, एडवोकेट होने की क्षमता है और अगर ये केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में उनका पक्ष रखने के लिए प्रस्तुत होता है तो वह महान्यायवादी (Attorney General) बन जाता है।

संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत भारत के महान्यायवादी पद की व्यवस्था की गई है. वह देश का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। उसमें उन योग्यताओं का होना आवश्यक है, जो उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए होती है। दुसरे शब्दों में कहे तो, उसके लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो, उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करने का पांच वर्षों का अनुभव हो या किसी उच्च न्यायालय में वकालत का 10 वर्षों का अनुभव हो या राष्ट्रपति के मत अनुसार वह न्यायिक मामलों का योग्य व्यक्ति हो।

यहीं आपको बता दें कि महान्यायवादी के कार्यकाल को संविधान द्वारा निशिचत नहीं किया गया है। इसके अलावा संविधान में उसको हटाने को लेकर भी कोई मूल व्यवस्था नहीं दी गई है।

सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) किसे कहते हैं?

अगर यही व्यक्ति जिसके पास लॉ की डिग्री है, एडवोकेट होने की क्षमता है और अटॉर्नी जनरल का असिस्टेंट बन जाता है तो उसे सॉलिसिटर जनरल कहा जाता है ।

वह देश का दूसरा कानूनी अधिकारी होता है, अटॉर्नी जनरल की सहायता करता है, और सॉलिसिटर जनरल को चार अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल द्वारा सहायता प्रदान की जाती है भारत में, अटॉर्नी जनरल की तरह, सॉलिसिटर जनरल और विधि अधिकारियों (नियम और शर्तें) नियम, 1972 के संदर्भ में भारत में सॉलिसिटर जनरल सरकार को सलाह देते हैं और उनकी ओर से पेश होते हैं हालांकि, अटॉर्नी जनरल के पद के विपरीत, जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत एक संवैधानिक पद है, सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद केवल वैधानिक (statutory) हैं अपॉइंटमेंट कैबिनेट समिति सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति करती है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page