एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में 22 जनवरी को अदालती कार्यवाही के दौरान जज पर जूता फेंकने वाले निलंबित वकील को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। वकील को पहले इंदौर हाईकोर्ट से कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा था और उसने राहत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। जिसके बाद वकील को कोतवाली थाने में आत्मसमर्पण करना जरूरी है। समाचार पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में हुई थी। जहां एक वकील ने कथित तौर पर पीठासीन जज पर जूता फेंक दिया था, जिसके बाद उसे तत्काल निलंबित कर दिया गया था।

इस काम ने न केवल लोगों के गुस्से को भड़काया बल्कि विभिन्न आरोपों के तहत उसके खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज कराया गया। घटना के बाद स्थानीय पुलिस ने वकील को पकड़ने में मदद करने वाली सूचना के लिए 10,000 रुपये के इनाम की घोषणा की क्योंकि वह फरार हो गया था। गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में वकील अतुल ने इंदौर हाईकोर्ट से राहत मांगी, जिसने उसे स्थानीय पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। इसके बाद वकील ने फिर सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की।

जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और पंकज मित्तल की पीठ ने मामले की सुनवाई की लेकिन किसी भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि की। इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में वकील के भाइयों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं, जिन पर 22 जनवरी की घटना को देखने वाली एक महिला वकील को धमकाने का आरोप है। स्थानीय अधिकारियों और पुलिस को उसकी शिकायतों के बावजूद, शुरुआती निष्क्रियता के कारण उसे न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी। जिसके कारण वकील के भाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

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