हाईकोर्ट ने देह व्यापार मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा तय किए गए आरोपों के विरुद्ध दायर एक याचिका निरस्त कर दी। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि वेश्यावृत्ति के लिए भुगतान अपराध की श्रेणी में आता है। अभियोजन के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं कि याचिकाकर्ता ने वेश्यावृत्ति के लिए राशि का भुगतान किया था।
याचिका जबलपुर निवासी ऋषभ की ओर से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि गोरा बाजार पुलिस ने उसे वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार किया था। जबलपुर जिला अदालत ने उसके विरुद्ध अनैतिक देह व्यापार की धारा-5 व 6 के तहत आरोप तय किए हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि आवेदक अनैतिक देह व्यापार में लिप्त नहीं था।
अभियोजन के पास सबूत पर्याप्त
मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट को बताया गया कि छापेमारी के दौरान दलाल के ठिकाने से एक कमरे में आवेदक एक युवती के साथ आपत्तिजनक स्थिति में मिला था। इसके अलावा, घटनास्थल से आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद हुई थी। अभियोजन के पास इस बात के साक्ष्य हैं कि आरोपी ने वेश्यावृत्ति के लिए राशि का भुगतान किया था, जिसे गंभीरता से लेकर ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय किए हैं।
जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश में स्पष्ट किया कि वेश्यावृत्ति के लिए भुगतान अपराध की श्रेणी में रखे जाने योग्य है। अभियोजन के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं कि याचिकाकर्ता ने वेश्यावृत्ति के लिए राशि का भुगतान किया था। इस वजह से ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपों को तय करना उचित है।
कोर्ट ने पूछा, खेल के मैदान में क्यों हो रही शादियां
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शासन व जबलपुर जिला प्रशासन के अधिकारियों से पूछा है कि आवासीय क्षेत्र में बच्चों के लिए आरक्षित खेल मैदान में विवाह समारोह के आयोजनों की अनुमति क्यों दी जाती है? एक जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने सचिव सामान्य प्रशासन विभाग,कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त व पुलिस अधीक्षक जबलपुर, एसडीएम व थाना प्रभारी रांझी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।