सुप्रीम कोर्ट में हर दिन गंभीर प्रकृति के मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई के दौरान नए तथ्य और नई बातें निकल कर सामने आती हैं। कुछ मामलों में तो हियरिंग के दौरान दी जाने वाली दलीलें भी दिलचस्प होती हैं। ऐसे ही एक मामले में देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र की तरफ से शीर्ष अदालत में पेश हुए थे। मामले की सुनवाई कुछ इस तरह से आगे बढ़ी कि SG तुषार मेहता को मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को कहना पड़ा कि इस मामले में नोटिस जारी न किया जाए। इसके बाद उन्होंने ऐसी दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी बात मान ली और SG के साथ ही अटॉर्नी जनरल वी। वेंकटरमाणी को खास निर्देश देना पड़ा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। प्रदेश सरकार ने आरोप लगाया कि सूखा राहत के लिए फंड अभी तक जारी नहीं किया गया है। इसको लेकर कर्नाटक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई और मांग की गई कि केंद्र को इस बाबत निर्देश दिया जाए। केंद्र की तरफ से SG तुषार मेहता ने दलील पेश की। उन्होंने मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बीआर गवई की पीठ को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमलोग इस तरह की याचिकाओं की टाइमिंग के बारे में जानते हैं। लॉर्डशिप को इसपर नोटिस जारी नहीं करना चाहिए, नहीं तो यह भी खबर बन जाएगी।’
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
SG तुषार मेहता के सबमिशन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके आग्रह को मान लिया। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसके बाद निर्देश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने SG तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल आर। वेंकटरमाणी से कहा कि वे दो सप्ताह में इस मामले में उचित निर्देश लेकर कोर्ट के पास आएं। इससे पहले तुषार मेहता ने कर्नाटक की याचिका की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार का अधिकार) के तहत याचिका दायर करने के बजाय केंद्र को इस बारे में सीधे तौर पर सूचित कर समस्याओं के बारे में अवगत कराया जा सकता था।’
कर्नाटक की याचिका
कर्नाटक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि प्रदेश को सूखा राहत कोष से फंड नहीं दिया जा रहा है। कर्नाटक की ओर से पेश वकील ने केंद्र पर अंतर-मंत्रालयी कमेटी की रिपोर्ट पर अमल न करने का आरोप लगाया। बता दें कि इससे पहले तमिलनाडु और केरल भी अपने-अपने मुद्दों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि कई राज्य एक तरह के मसलों को लेकर शीर्ष अदालत का रुख कर रहे हैं। केंद्र और राज्यों के बीच कोई कंटेस्ट नहीं होना चाहिए।