सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के संपत्ति के खुलासे को लेकर एक बड़ी टिप्पणी सामने आई है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ रहे किसी उम्मीदवार को आपने स्वामित्व वाली सभी संपत्तियों का खुलासा करने की जरूरत नहीं है। उम्मीदवार को केवल अपने उन महत्वपूर्ण संपत्तियों का खुलासा करने की जरूरत है जिससे मतदाताओं को उसकी वित्तीय हालात और जीवनशैली की समझ हो सके। अदालत ने कहा कि चुनाव लड़ने उम्मीदावरों को निजता का अधिकार है और उन्हें अपनी संपत्ति के एक-एक डिटेल का खुलासा करने की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने अरुणाचल प्रदेश के एक निर्दलीय विधायक के मामले में यह फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट ने किया था निर्दलीय विधायक के चुनाव को अमान्य

दरअसल, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश के निर्दलीय विधायक कारीखों क्री के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था। कारीखो क्री ने 23 मई 2019 को एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अरुणाचल के तेजू विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में पत्नी और बेटे के नाम पर तीन गाड़ियों का उल्लेख अपनी संपत्ति की घोषणा में नहीं किया था। इसके बाद यह मामला गुवाहाटी हाईकोर्ट पहुंचा और उनके चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया गया था।

हर चल संपत्ति का ब्यौरा देने की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवारों और उनके परिवार के सद्सयों को हर चल संपत्ति का ब्यौरा देने की जरूरत नहीं है जब तक कि वह बहुत कीमती या विलासितापूर्ण नहीं हो। जस्टिस अनुरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। वहीं कोर्ट ने कहा कि जिन वाहनों का जिक्र याचिका में किया गया है वे चुनाव से पहले ये वाहन या तो गिफ्ट में दे दिए गए थे या फिर बेच दिए गए थे। ऐसे में ये वाहन अब कारीखो क्री परिवार के स्वामित्व में नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गाड़ियों का खुलासा नहीं करना चुनाव परिणाम पर कोई खास असर नहीं डालता। वैसी संपत्ति जो मतादाता को उम्मीदवार की जीवनशैली या संपन्नता के बारे में जानकारी देती है, उसका खुलासा किया जाना चाहिए। ये जरूरी नहीं कि उम्मीदवार चल संपत्ति के हर चीज जैसे-जूते, स्टेशनरी, कपड़े, फर्नीचर आदि की घोषणा करे।

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