एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश में जन्मे पानीपुरी विक्रेता के बेटे के एमबीबीएस प्रवेश पर रोक लगाई गए थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने आरक्षित श्रेणी की सीट पर छात्र के प्रवेश को इस आधार पर रद्द करने को बरकरार रखा गया था कि उसकी जाति गुजरात राज्य में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) से नहीं है। बता दें याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखता है और उसके माता पिता तेली जाति हैं, जो इस राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आती है।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा गुजरात हाई कोर्ट का फैसला

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि छात्र सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में भी गुजरात के कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पात्र होगा। कोर्ट ने कहा, “जैसा कि देखा जा सकता है मेडिकल कॉलेज में सीट के लिए गुजरात राज्य के कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में याचिकाकर्ता की योग्यता को ध्यान में रखा गया था। हालांकि, डिवीजन बेंच ने माना है कि चूंकि याचिकाकर्ता एसईबीसी श्रेणी में विचार किए जाने का हकदार नहीं है, इसलिए वह अयोग्य है।”

नतीजतन, कोर्ट ने छात्र के प्रवेश को रद्द करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कॉलेज, गुजरात राज्य, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया। बताते चलें कि सरकारी मेडिकल कॉलेज, वडोदरा में याचिकाकर्ता का मेडिकल प्रवेश सितंबर 2023 में रद्द कर दिया गया था। यह पाया गया था कि याचिकाकर्ता जिस तेली उपजाति से वह संबंधित था, उसे गुजरात में एसईबीसी के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती थी। याचिकार्ता के माता-पिता मूल रूप से उत्तर प्रदेश के थे, जहां यह जाति अन्य पिछड़े वर्ग के अंतर्गत आती है।

जाति की श्रेणी को लेकर फंसा था पेंच

26 मार्च को गुजरात हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता का प्रवेश रद्द करने को बरकरार रखा था। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल  और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ ने इस तथ्य के बावजूद फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता सामान्य श्रेणी की सूची में भी प्रवेश के लिए पात्र होता और उसे जाति आधारित आरक्षण की आवश्यकता नहीं होती।

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