दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने न्यायाधीशों से कहा है कि वे सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को प्राथमिकता दें, ताकि उनका शीघ्र और प्रभावी निपटारा सुनिश्चित किया जा सके। हाईकोर्ट को उसकी रजिस्ट्री द्वारा सूचित किया गया कि वर्तमान में हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष सांसदों और विधायकों से जुड़े 34 मामले या अपील लंबित हैं, जिनमें सुनवाई पर रोक के आदेश दिए गए हैं और ये छह महीने से अधिक अवधि से जारी हैं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी. एस. अरोड़ा की खंडपीठ ने रजिस्ट्री को उन 34 मामलों को संबंधित एकल पीठ से स्थानांतरित करते हुए अन्य पीठ को सौंपने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने दो अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा, ‘प्रधान न्यायाधीश द्वारा पारित निर्देशों के अनुरूप हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह इस आदेश को ऐसे मामलों के लिए नियुक्त न्यायाधीशों को सौंपे, ताकि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों, अपील, पुनरीक्षण याचिकाओं को प्राथमिकता दी जा सके।’

मौजूदा कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा की अदालत सांसदों और विधायकों के मामलों पर सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में निर्दिष्ट विशेष अदालत है। न्यायमूर्ति शर्मा के समक्ष गुरुवार को सांसदों, विधायकों के मामलों को सुनवाई के लिए रखा गया तो उन्होंने कहा कि वह अब उन पर सुनवाई नहीं कर सकती, क्योंकि उन्हें एक न्यायिक आदेश मिला है, जिसके अनुसार कुछ मामले इस अदालत से स्थानांतरित कर दिए गए हैं। इसके बाद अदालत ने उन मामलों को दूसरी तारीख के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

जिला अदालतों में सांसदों, विधायकों से जुड़े लंबित मामलों के संबंध में, हाईकोर्ट ने संबंधित निर्दिष्ट अदालतों को निर्देश दिया कि वे सबसे पहले सांसदों और विधायकों के खिलाफ मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा वाले आपराधिक मामलों को और उसके बाद पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले मामलों को प्राथमिकता दें। इसी तरह क्रम से अन्य मामलों की सुनवाई के लिए कहा गया है।

पीठ ने कहा, ‘हम सभी न्यायाधीशों से अनुरोध करते हैं कि वे असाधारण और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर संबंधित मामलों की सुनवाई स्थगित करने से बचें।’ पीठ ने मामले को 20 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। हाईकोर्ट सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निपटारा के बारे में स्वतः संज्ञान लिए गए एक मामले की सुनवाई कर रहा था।

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