मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने बुधवार को 2024-25 में शिक्षा के अधिकार (RTE) के तहत गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में प्रवेश के संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र के परिपत्र पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 21 फरवरी के परिपत्र पर रोक लगा दी, लेकिन कहा कि याचिकाकर्ता एसोसिएशन के स्कूलों को बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया जाता है।
25 फीसदी सीटें रिजर्व करने का था आदेश
प्रशासन के आदेश में कहा गया था कि गैर-सरकारी स्कूलों द्वारा धारा 12 (1) (सी) के तहत RTE प्रवेश के लिए सीटें UDISE डेटा सत्र 2023-24 के लिए स्कूल द्वारा दर्ज किए गए औसत नामांकन (नर्सरी से कक्षा 1 तक) के आधार पर निर्धारित की जाएगी। इसमें कहा गया था कि 2024-25 के लिए क्लास वन में 25 फीसदी सीटें निःशुल्क प्रवेश के लिए आरक्षित होंगी। इसी को लेकर प्राइवेट स्कूल संचालक विरोध कर रहे थे।
कोर्ट ने लगा दी रोक
वहीं, याचिकाकर्ता एसोसिएशन ऑफ अनएडेड CBSE स्कूल्स के वकील गौरव छाबड़ा ने कहा कि कोर्ट ने उस सर्कुलर पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि स्कूलों की प्रारंभिक कक्षा में RTE प्रवेश देने के लिए नर्सरी से कक्षा 1 तक का औसत लिया जाएगा। यह सर्कुलर RTE अधिनियम के विरोधाभासी है, जिसमें प्रवेश स्तर की कक्षा में 25% सीटों के आरक्षण की बात कही गई है, न कि सभी चार कक्षाओं के औसत के आधार पर।
29 अप्रैल को अगली सुनवाई
छाबड़ा ने कहा कि हालांकि, अभी तक अदालत ने इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं दी है कि इस साल RTE के तहत जो दाखिले पूरे हो चुके हैं, उनसे कैसे निपटा जाएगा। कोर्ट द्वारा सर्कुलर पर रोक जारी करने के बाद, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड CBSE ने कहा कि इंदौर हाईकोर्ट ने RTE के तहत 2024-25 के लिए प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी है,
जिसे मध्य प्रदेश के राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा अपनाया गया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष, अनिल धूपर ने बताया कि विभाग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी और स्कूलों ने इसका विरोध किया था, लेकिन विभाग ने इसे नजरअंदाज कर दिया और संख्या से अधिक प्रवेश आवंटन दिए। स्कूलों के विरोध के बावजूद जबरन प्रवेश दिए गए। वहीं, इस मामले में अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।