पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के जजों को उग्रवादियों के एक नए समूह की ओर से धमकी मिली है। ये धमकियां उन्हें खत के जरिए तहरीक-ए-नामूस पाकिस्तान (टीएनपी) नाम के समूह की ओर से दी गईं। हालांकि, इन धमकी भरे लेटर्स का मकसद क्या है?  फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है। वैसे, यह दूसरा मौका है, जब इस समूह का नाम इस्लामाबाद में किसी घटना में सामने आया है।

सुप्रीम कोर्ट के जजों को ये धमकी भरे खत ऐसे वक्त पर मिले हैं, जब इससे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट के आठ जजों (चीफ जस्टिस आमेर फारूक भी शामिल) को धमकी भरे पत्र चुके हैं। बुधवार को पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर किसी भी हमले को विफल करने का संकल्प लिया। उन्होंने इस दौरान संकेत दिए कि शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों की ओर से न्यायिक मामलों में कथित हस्तक्षेप के मामले की सुनवाई अदालत की एक पूर्ण पीठ करेगी।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बर्दाश्त नहीं- CJI

पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश की ओर से कहा गया- न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जजों को यह लगना चाहिए कि वे खतरे में नहीं हैं। अगर न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार का हमला होता है तो मैं (न्यायपालिका का बचाव करने में) आगे की पंक्ति में रहूंगा और निश्चित रूप से, मेरे साथी न्यायाधीश इसमें मेरे साथ खड़े होंगे और हम कभी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करते हैं।”

धमकी भरे लेटर्स में उग्रवादियों ने क्या कहा?

पिछले साल वन्य जीवन विभाग के एक दस्ते ने सितंबर में इस्लामाबाद के ट्रेल फाइव पर मार्गल्ला पहाड़ियों पर रेड जोन के संवेदनशील प्रतिष्ठानों से जुड़े विस्फोटक और मानचित्र खोजे थे। 17 सितंबर 2023 वही दिन था, जब जस्टिस काजी फैज ईसा ने पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। दोनों पत्रों में देश की न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को धमकी दी गई है।

 

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