हाईकोर्ट द्वारा उत्तर दिनाजपुर जिले के दाड़ीभिटा पुलिस फायरिंग में दो युवकों की मौत की NIA जांच के आदेश दिए हुए 10 महीने बीत चुके हैं, लेकिन राज्य CID ने अब तक संबंधित दस्तावेज केंद्रीय जांच एजेंसी को नहीं दिया है। CID द्वारा अब तक NIA को दस्तावेज नहीं सौंपने के कारण राज्य के गृह विभाग को हाईकोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस
साथ ही राज्य ने इस घटना के पीड़ितों को मुआवजा देने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया है। इसलिए हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव बीपी गोपालिका, गृह सचिव नंदनी चक्रवर्ती और ADG CID के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का रूल जारी कर दिया। जस्टिस राजशेखर मंथा ने निर्देश दिया है कि वे तीनों ही अधिकारी अगली सुनवाई में कोर्ट पेश हो और बताएं कि हाईकोर्ट उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करे?
अगली सुनवाई पांच अप्रैल को होगी। कोर्ट ने पिछले साल मई में NIA जांच का आदेश दिया था। सितंबर 2018 में उत्तर दिनाजपुर के दाड़ीभिटा के एक स्कूल में बांग्ला भाषा के शिक्षक नियुक्ति को लेकर बवाल शुरू हुआ था। पुलिस पर फायरिंग के आरोप लगे, जिसमें स्कूल के दो पूर्व छात्रों की मौत हो गई। इसके बाद परिवार ने शिकायत की कि मौत पुलिस की गोली से हुई है। हालांकि, पुलिस पहले इससे इनकार कर चुकी है। कोर्ट ने घटना की NIA जांच के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट ने सीपी को लगाई फटकार
हाईकोर्ट ने उनके आदेश की अवहेलना करने पर कोलकाता के पुलिस आयुक्त(सीपी) विनित गोयल को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस राजशेखर मंथा ने सीपी को अगली सुनवाई में वर्चुअली उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया गया है। मोबाइल चोरी के एक मामले में कथित तौर पर जज की बात नहीं मानी गई। कोर्ट की अवमानना का आरोप सुनने के बाद जस्टिस मंथा ने गुस्सा जाहिर किया।
उन्होंने प्रश्न पूछा कि क्या कोर्ट का आदेश खेल है? मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी उस दिन सीपी को वर्चुअल उपस्थिति होने को कहा गया है। वादी का नाम पंकज कुमार दुगड़ है। उनका मोबाइल चोरी होने के बाद हाईकोर्ट में केस दायर किया था। 2022 के मामले में कोर्ट को सीसीटीवी फुटेज की रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया था।
कमिश्नर द्वारा स्वयं रिपोर्ट न देने पर अवमानना की शिकायतें उठीं। आवेदन में बताया गया कि 18 जून 2022 को उनके मोबाइल का टावर लोकेशन कहां है इसकी जानकारी मोबाइल कंपनी को दी जाए। साथ ही उस दिन अलीपुर पुलिस कोर्ट से हाजरा क्रॉसिंग और कालीघाट फायर स्टेशन तक पूरे इलाके का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था।
कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को सभी फुटेज सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। उस मोबाइल कंपनी से जानकारी कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया गया। आरोप है कि इस निर्देश के बाद भी काम नहीं किया गया। इसके विपरीत कालीघाट थाने के प्रभारी ने पुलिस कमिश्नर की ओर से कोर्ट को रिपोर्ट दी।
भूलें मत हाईकोर्ट की ताकत
कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने कोर्ट के आदेश का मजाक उड़ाया है। जस्टिस मंथा ने पुलिस कमिश्नर से कहा कि मत भूलें, हाई कोर्ट की ताकत क्या है? जज ने कमिश्नर से यह भी कहा कि क्या कोर्ट का आदेश कोई खेल है? क्या पुलिस को लगता है कि हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होगा? अदालत की अवमानना के लिए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश क्यों नहीं दिया जाए? मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी उस दिन सीपी को वर्चुअल उपस्थिति होने को कहा गया है।