उमरिया जिले में नहर के किनारे वृक्षारोपण के लिए आरक्षित जमीन पर बिल्डर द्वारा सड़क निर्माण कर दिया गया। RES ने बिल्डर को लाभ पहुंचाने के लिए उसकी सड़क के निर्माण का टेंडर जारी कर दिया। जिसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

वृक्षारोपण के लिए आरक्षित जमीन पर सड़क निर्माण:
याचिकाकर्ता विकास सचदेवा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उमरिया जिले से निकलने वाले NH 43 से राधा स्वामी सत्संग भवन तक बिल्डर ने वृक्षारोपण के लिए आरक्षित जमीन पर सड़क का निर्माण कर दिया था। बिल्डर द्वारा कॉलोनी निर्माण करने के लिए 40 फुट एप्रोच रोड के आवश्यक नियम की पूर्ति के लिए ऐसा किया गया था। उसकी शिकायत पर टीएनपीसी ने अपनी बिल्डर को प्रदान एनओसी निरस्त कर दी थी।

याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि ”सड़क निर्माण हो गया है। इसके बावजूद भी सड़क निर्माण के लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा प्रभाग ने उसे बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। सड़क का निर्माण नहर के किनारे किया गया है। उक्त जमीन जन संसाधन विभाग की है और वृक्षारोपण के लिए आरक्षित है। जिससे सरकारी धन का दुरूपोग होगा और पर्यावरण के लिए घातक है।” याचिका में WRD,RES,कलेक्टर उमरिया तथा कबिर बिल्कॉन को अनावेदक बनाया गया है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से हिमांशु मिश्रा ने पैरवी की।

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