कर्नाटक हाईकोर्ट ने 10 लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुके पुराने राज्य परिवहन बसों को हटाने का आदेश दिया है। यह आदेश यात्रियों की सुरक्षा और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं, वाहन चालकों और पैदल चलने वालों दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है।कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) की कई बसों की हालत बेहद खस्ता है और उनमें ढेर सारी समस्याएं हैं। हाईकोर्ट का यह आदेश भी एक दुखद हादसे के बाद आया है। जहां KSRTC के एक ड्राइवर पर दो बच्चों पर बस चढ़ा देने के आरोप में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया था। दरअसल, वह ड्राइवर जिस बस को चला रहा था, वह 10 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा चल चुकी थी।यह देखते हुए कि ऐसी बसें सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए बेहद जोखिम भरी हैं, कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए नियम बनाने सहित KSRTC बसों के रखरखाव पर छह निर्देश जारी किए। हाईकोर्ट ने कहा, “इस मामले में, दुर्घटनाग्रस्त बस पहले ही 10,00,000 किमी से ज्यादा चल चुकी थी और वाहन में इग्निशन स्टार्टर, हॉर्न और ब्रेक नहीं थे। जो यात्री उस बस में यात्रा कर रहे थे, उन्हें बस को स्टार्ट करने के लिए धक्का देने के लिए मजबूर होना पड़ा। बस की स्थिति जो रिकॉर्ड में लाई गई है वह काफी चिंताजनक है।” न्यायमूर्ति रमाचंद्र डी हुड्डार ने आगे निर्देश दिया कि KSRTC द्वारा तैनात बसों को एक निश्चित किलोमीटर चलने के बाद स्क्रैप किया जाना चाहिए। और इनमें से किसी भी बस को राज्य में कहीं भी – शहरों या गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जारी किए गए कुछ अन्य दिशानिर्देशों में KSRTC का मैकेनिकल डिपार्टमेंट द्वारा नियमित रूप से बसों का निरीक्षण करना और कोई समस्या नहीं पाए जाने पर उन्हें ‘सड़क के लिए फिट’ के रूप में प्रमाणित करना शामिल है। KSRTC को पुरानी बसों के लिए संबंधित आरटीओ से प्रमाण पत्र भी लेना होगा और इसके बाद ही इन्हें सड़क पर तैनात करने की अनुमति दी जानी चाहिए।कर्नाटक हाईकोर्ट ने भले ही KSRTC बेड़े में कई पुरानी बसों की खस्ताहाल स्थिति को उजागर किया हो। लेकिन उसने उस ड्राइवर सतीश की सजा को भी बरकरार रखा। जिसने अंजोला के केसी रोड पर अपनी बस से दो बच्चों को कुचल दिया था। सतीश को लापरवाह पाया गया और उसे छह महीने के कारावास की सजा सुनाई गई।

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