इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के शवदाह गृहों की दुर्दशा पर चिंता जताई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सरकार को हालत सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम एक ट्रिलियन इकोनॉमी हैं लेकिन आम लोगों के शवदाह की सुविधाओं की किल्लत है। कोर्ट ने कहा कोविड के समय हमने भयावह दृश्य देखा है। जब शव दाह की समुचित व्यवस्था व सुविधाओं की भारी किल्लत थी, कोर्ट ने कहा आज भी शवदाह गृहों की स्थिति दयनीय है। शवदाह गृहों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है।शवदाह गृहों में हर दिन बढ़ रही जनसंख्याइसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि शवदाह गृहों में हर दिन जनसंख्या बढ़ रही है और शव दाह केंद्रों में बेसिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम लोग जीवन-भर संघर्ष करते हैं। अंतिम सांस छोड़ने के बाद उनके शव दाह की बेसिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कोर्ट ने कहा हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन गए हैं। लेकिन आम लोगों के शव दाह की समुचित व्यवस्था करने में नाकाम हैं। कोर्ट ने सरकार को शवदाह केंद्रों की दशा सुधारने के ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया है।राजेंद्र कुमार बाजपेई की याचिका पर हुई सुनवाईअब 18 जनवरी को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने महाधिवक्ता M C चतुर्वेदी को आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव शहरी विकास विभाग व पंचायत राज विभाग सहित मुख्य सचिव को देने को कहा है। कोर्ट ने याची राजेंद्र कुमार बाजपेई की याचिका पर सुनवाई की। यह सुनवाई जस्टिस M C त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की डिवीजन बेंच में हुई।

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