इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में 20 साल से जेल में बंद आरोपी/अपीलकर्ता की समयपूर्व रिहाई के लिए सरकार से सिफारिश न करने पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक से जवाब तलब किया है। पूछा है कि अपीलकर्ता की समयपूर्व रिहाई के लिए सरकार से सिफारिश क्यों नहीं की गई।कोर्ट ने इस संबंध में वरिष्ठ जेल अधीक्षक से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने लाल बाबू व अन्य की अपील पर जमानत अर्जी मंजूर करते हुए दिया है। कोर्ट आरोपियों मेंं राजू की अपील पर सुनवाई कर रही थी।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने हत्या सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में दर्ज प्राथमिकी में ट्रायल कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद 20 साल सात महीने से अधिक की सजा काट ली है। इसके बावजूद जेल अधिकारियों की ओर से समयपूर्व रिहाई करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई।कोर्ट ने कहा कि रशीदुल जाफर/छोटा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के केस में सुप्रीम कोर्ट ने समय से पहले रिहाई के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार समयपूर्व रिहाई के लिए आवेदन जमा करने वाले दोषियों की आवश्यकता को हटाने के लिए नीति में संशोधन किया गया है और इसके बजाय पात्र कैदियों पर विचार करने की जिम्मेदारी राज्य के अधिकारियों पर डाल दी गई है।जेल प्रशासन, जिला और राज्य स्तर पर कानूनी सेवा प्राधिकरण, पुलिस विभाग और राज्य के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पात्र कैदियों के मामलों पर नीतिगत मापदंडों के आधार पर विचार किया जा रहा है। लेकिन मौजूदा मामले में अभी तक कोई प्रयास ही नहीं शुरू किया गया है।मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इलाहाबाद से अपीलकर्ता की स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी गई तो बताया गया कि याची अपीलकर्ता पांच अप्रैल 2003 से सेंट्रल जेल नैनी प्रयागराज में बंद है। कोर्ट ने तथ्यों को देखने के बाद कहा कि लंबी हिरासत और कोई आपराधिक इतिहास न होने के बावजूद वरिष्ठ अधीक्षक सेंट्रल जेल नैनी द्वारा समय से पहले रिहाई के लिए अपीलकर्ता का मामला क्यों शुरू नहीं किया गया।कोर्ट ने ऐसी स्थिति को देखते हुए अपीलकर्ता को पचास हजार के निजी मुचलके और दो प्रतिभूतियां पर रिहा करने का आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं। अधिवक्ता दीपांशु कुशवाहा ने बताया कि अपील पर 15 दिसंबर को सुनवाई होगी।