तीस हजारी की एक मैजिस्ट्रेट अदालत ने 7 महिलाओं को बरी कर दिया। इन पर पिछले साल एक बार में अश्लील नाच करने और जनता को कष्ट पहुंचाने का आरोप था। अदालत ने कहा कि न तो छोटे कपड़े पहनना कोई अपराध है और न गानों पर नाचने के लिए किसी को दंडित किया जा सकता है।
पहाड़गंज थाने की पुलिस ने इन महिलाओं को IPC की धारा 294 के तहत बुक किया था, जो सार्वजनिक जगहों पर दूसरों के लिए परेशानी की वजह बनने वाले किसी भी अश्लील कृत्य को अपराध मानता है। एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मैजिस्ट्रेट नीतू शर्मा ने 4 फरवरी को सुनाए गए अपने जजमेंट में कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में किसी अपराध को साबित करने में विफल रहा। अदालत ने कहा कि अब, न तो छोटे कपड़े पहनना कोई अपराध है और न गानों पर नाचने वाले को दंडित किया जा सकता है, चाहे वह नाच जनता के बीच में किया गया हो। यह केवल तब होता है जब नाच डांसर के अलावा अन्य लोगों को परेशानी दे रहा हो।
मामला एक सब-इंस्पेक्टर (SI) की शिकायत पर दर्ज किया गया था। दावा किया कि वह उस वक्त इलाके में गश्त पर थे। आरोप था कि जब वह बार में घुसे, तो देखा कि कुछ लड़कियां छोटे कपड़े पहने हुए अश्लील गीतों पर डांस कर रही थीं। अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने कहीं भी दावा नहीं किया कि नाच किसी अन्य व्यक्ति को परेशानी दे रहा था। दो अभियोजन पक्ष के गवाहों ने कहा कि वे मजे के लिए वहां पर गए थे और इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते।
अदालत ने कहा कि साफ है कि पुलिस ने एक कहानी गढ़ी, लेकिन उसे जनता का समर्थन नहीं मिला। ऐसी परिस्थितियों में, भले ही हम एसआई धर्मेंदर के दावे को मंजूर कर लें, तब भी इससे अपराध स्थापित नहीं होगा। एक पुलिस अधिकारी जो ड्यूटी पर है, वह केवल डीडी एंट्री के माध्यम से पुलिस स्टेशन छोड़ सकता है, वरना नहीं। चूंकि, इलाके में अभियोजन के गवाह की मौजूदगी को दिखाने के लिए दस्तावेजी सबूत का होना जरूरी है, मौखिक दावे को मंजूर करने की इजाजत नहीं दी जा सकती जब उसे रिकॉर्ड पर न लाया गया हो। अदालत ने जनता में से किसी साधारण व्यक्ति को जांच में शामिल करने में भी पुलिस की विफलता पर सवाल उठाया।
अदालत ने बार के मैनेजर को भी बरी कर दिया। उनपर आरोप था कि सीसीटीवी कैमरों को ठीक ठाक बनाए रखने में वह विफल रहे। अदालत ने इस पर भी गौर किया कि ऐसा कोई आरोप नहीं था कि संबंधित रेस्टोरेंट और बार उचित लाइसेंस के बिना या सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों या प्रावधानों के उल्लंघन में चल रहा था। लिहाजा, अदालत ने आरोपी मैनेजर को संदेह का लाभ देते हुए छोड़ दिया।