हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमुडा की करोड़ों रुपए के नैशनल इंटरैस्ट की मांग को लेकर दायर अपीलों को खारिज कर दिया व एकलपीठ द्वारा सुनाए फैसले पर अपनी मोहर लगा दी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने हिमुडा की 57 अपीलों को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि हिमुडा प्रार्थियों से नैशनल इंटरैस्ट की मांग करने का हक नहीं रखती है। विशेषता जब करार के दौरान इस तरह की शर्त नहीं रखी गई थी। इस तरह की शर्त को रखा जाना कानून के विपरीत है। अपील से जुड़े तथ्यों के अनुसार वर्ष 1989 में शिमला Development Authority ने सैल्फ फाइनांस स्कीम के अंतर्गत 99 वर्षों के लिए प्लाट अलॉट करने की लोगों को ऑफर दी। 30 नवम्बर, 1989 तक आवेदन किया जाना था। ब्रोशर के मुताबिक 20 फीसदी राशि की अदायगी प्लॉट के ड्रॉ होने से पहले की जानी थी। 50 फीसदी राशि का भुगतान कब्जे बाबत जारी पत्र की तारीख को किया जाना था तथा बाकी राशि का भुगतान कब्जा लिए जाने वाली तारीख को किया जाना था। 10 जनवरी, 1994 को अलॉटी को यह सूचना दी गई कि भूमि की कीमत बढ़ने के कारण प्लॉट की कीमत में बढ़ौतरी होगी। इस कारण प्लॉट की कीमत लगभग दोगुनी हो जाएगी। प्लॉट वर्ष 1995 तक तैयार हो जाएगा और प्लॉट की बढ़ी हुई राशि 2430 रुपए के हिसाब से 30 किस्तों में की जानी है। अलॉटी ने इस राशि का भुगतान भी कर दिया। 11 अप्रैल, 1996 को लीज अलॉटी के नाम हो गई। भूमि का कब्जा दिए जाने के बाद अलॉटी ने इस पर अपने घर बना दिए। हिमुडा ने कुल 5 करोड़ 13 लाख 36 हजार 451 रुपए नैशनल इंटरैस्ट की मांग की थी।

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