कानून से आंख-मिचौली खेलने वालों के साथ कई बार कोर्ट में ऐसा हो जाता है। ताजा मामला सुप्रीम कोर्ट का है, जहां अग्रिम जमानत मांगने पहुंचे एक व्यक्ति पर कोर्ट ने न सिर्फ 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया, बल्कि पुलिस को 3 दिन के अंदर उसकी गिरफ्तारी का आदेश भी दे दिया।

अमृतसर के कैंटोनमेंट थाने में हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज एक FIR में प्रतीक अरोड़ा वांछित है। उसने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई, लेकिन जजों के सख्त रुख को देखते हुए 30 सितंबर 2024 को उसे वापस ले लिया। 2 महीने बाद उसने फिर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर दी। इस बार हाई कोर्ट ने पहले से भी सख्त रवैया अपनाया।

11 दिसंबर 2024 को दिए आदेश में हाईकोर्ट ने दर्ज किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ FIR 25 जून, 2023 को दर्ज हुई थी। डेढ़ साल बाद भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित करने के लिए निचली अदालत में आवेदन भी नहीं दाखिल किया है। हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से याचिकाकर्ता की सांठ-गांठ का अंदेशा जताते हुए अमृतसर के डिप्टी पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा।

इस बीच प्रतीक अरोड़ा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। उसने हाईकोर्ट के 30 सितंबर वाले आदेश को चुनौती देते हुए अग्रिम जमानत मांगी। जस्टिस जे के माहेश्वरी और अरविंद कुमार की बेंच ने फाइल का मुआयना करते ही उसकी चालाकी भांप ली। जजों ने कहा कि याचिकाकर्ता कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है। एक से ज्यादा बार अग्रिम जमानत की मांग खारिज होने के बाद भी उसने समर्पण नहीं किया। पुलिस ने भी उसे गिरफ्तार नहीं किया।

थोड़ी देर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। आदेश में कहा गया है कि यह रकम वह पंजाब स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी को जमा करवाए। इसके साथ ही कोर्ट ने अमृतसर के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि वह 3 दिन के भीतर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लें। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है।

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