सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में एक दलित परिवार के तीन सदस्यों की कथित हत्या की जांच सीबीआई से कराए जाने की अपील वाली याचिका पर बुधवार (22 जनवरी, 2025) को जवाब मांगा। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच एक महिला की याचिका पर मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गई और राज्य सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

महिला ने अपने बेटे, बेटी और एक रिश्तेदार की हत्या कर दिए जाने का आरोप लगाया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि वर्तमान में विधायक और राज्य के एक पूर्व गृह मंत्री मामले में गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं और धमकी दे रहे हैं।

याचिका में दावा किया गया, ‘‘एक के एक परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर दी गई और पुलिस ने आरोपी व्यक्तियों को केवल इसलिए पूरी सहायता दी क्योंकि हत्याओं के पीछे राज्य के पूर्व गृह मंत्री और उनका समूह है। परिणामस्वरूप, आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मध्यप्रदेश कोई अभियोजन संभव नहीं है।’’

हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस और वकील मीनेश दुबे पेश हुए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी 15 वर्षीय बेटी की शिकायत पर जनवरी 2019 में सागर जिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसने कहा कि उसकी बेटी के साथ गांव के कुछ लोगों ने साथ मारपीट और छेड़छाड़ की।

याचिका में दावा किया गया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ छेड़छाड़ या यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत कोई धारा नहीं लगाई। इसमें आरोप लगाया गया कि शिकायतकर्ता के भाई की उन्हीं लोगों के समूह ने हत्या कर दी, जिन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की थी और इस संबंध में अगस्त, 2023 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

याचिका में ये भी कहा गया कि हत्या के चश्मदीदों में से एक रहे शिकायतकर्ता के चाचा की पिछले साल मई में उसी समूह के लोगों ने हत्या कर दी और इस संबंध में एक अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि जब वह 26 मई, 2024 को अपने चाचा के पार्थिव शरीर के साथ वापस आ रही थी तब एंबुलेंस में पुलिस ने उसकी हत्या कर दी। याचिका में कहा गया कि मामले से जुड़े तथ्य और परिस्थितियां इसे मध्य प्रदेश के बाहर के अधिकारियों वाली सीबीआई टीम की जांच के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

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