इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और दो अन्य के खिलाफ यूपी में दर्ज मुकदमे की कार्यवाही को रद्द करने से इन्कार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने अनिल टुटेजा व अन्य की याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित मामले में धन शोधन का केस रद्द कर दिया है तो भी यूपी में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही जारी रहेगी। अनिल टुटेजा व अन्य पर यूपी में दर्ज मुकदमा छत्तीसगढ़ के 2000 करोड़ रुपये के शराब सिंडिकेट रैकेट के संचालन के आरोपों से जुड़ा है। ईडी ने चार जुलाई 2023 को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। ईडी को जांच में नोएडा की एक कंपनी के बारे में जानकारी मिली है, जो छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग को होलोग्राम की आपूर्ति के लिए अवैध रूप से निविदाएं दे रही थी।
ईडी की रिपोर्ट के आधार पर यूपी में 30 जुलाई 2023 को अनिल टुटेजा और अन्य पर थाना कासना, ग्रेटर नोएडा में मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में आठ अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जुलाई 2023 की धन शोधन शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसमें कोई पूर्व निर्धारित अपराध नहीं था। इसके बाद मामले के चार आरोपियों अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और निरंजन दास ने उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट के समक्ष प्रश्न यह था कि जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जुलाई 2023 की अभियोजन शिकायत को खारिज कर दिया है तो क्या उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी जारी रह सकती है या नहीं। न्यायालय ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज किए गए बयानों के आधार पर यूपी में शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही जारी रह सकती है। कोर्ट ने अनिल टुटेजा व अन्य पर उत्तर प्रदेश में दर्ज मामला रद्द करने से इन्कार कर दिया।