एनआईए के साथ घनिष्ठ समन्वय में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए, सीबीआई ने एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की पटना शाखा में कार्यरत पुलिस उपाधीक्षक एवं  दो मध्यस्थ व्यक्तियों को एनआईए के एक मामले की जारी जांच में पक्षपात कर अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप पर पकड़ा।

सीबीआई टीम ने एनआईए में एक मामले की जारी जांच को प्रभावित करने के संदर्भ में शिकायतकर्ता से 20 लाख रु. की रिश्वत स्वीकार करने के दौरान आरोपी पुलिस उपाधीक्षक से जुड़े मध्यस्थ व्यक्तियों को ट्रैप करने के बाद आज पुलिस उपाधीक्षक को भी पकड़ा गया।  पुलिस उपाधीक्षक,  आयकर अधिकारी हैं, जो एनआईए में प्रतिनियुक्ति पर हैं।

बिहार के गया निवासी शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाते हुए सीबीआई से संपर्क किया कि उक्त पुलिस उपाधीक्षक, एनआईए (पटना) उसके परिवार को एक आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी देकर एवं उसके परिवार को अवैध रूप से बिना लाइसेंस के हथियार रखने के झूठे आरोप में फंसाकर उससे पैसे वसूल रहा है।

इस बात का भी खुलासा हुआ कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले के संबंध में एक मामला दर्ज किया था एवं शिकायतकर्ता के आवास और कार्यालय पर दिनाँक 19/09/2024 को तलाशी ली गई थी।

इन तलाशियों के पश्चात, जांच अधिकारी के रूप में, पुलिस उपाधीक्षक ने दिनाँक 24/09/2024 को एक नोटिस जारी किया, जिसमें शिकायतकर्ता को दिनाँक 26/09/2024 को एनआईए कार्यालय, पटना के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया गया।  शिकायतकर्ता दी गई तारीख पर जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित हुआ।

यह आरोप है पूछताछ के दौरान कि आरोपी पुलिस उपाधीक्षक ने शिकायतकर्ता को आपराधिक मामले में फंसाने एवं गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। गंभीर परिणामों से बचने में उसकी मदद करने के लिए, पुलिस उपाधीक्षक ने कथित तौर पर ₹2.5 करोड़ की रिश्वत की मांग की। दबाव में आकर शिकायतकर्ता कथित तौर पर अपने परिवार को झूठे आरोपों से बचाने के लिए रिश्वत देने को तैयार हो गया।  आरोपी पुलिस उपाधीक्षक ने शिकायतकर्ता से उसी दिन (26/09/2024) 25 लाख रु. की प्रारंभिक किस्त का भुगतान करने के लिए कहा एवं उसे मध्यस्थ व्यक्ति के मोबाइल नंबर के साथ एक हस्तलिखित नोट दिया। इसके पश्चात, यह आरोप है कि शिकायतकर्ता ने 25 लाख रु. की व्यवस्था की एवं अपने रिश्तेदार को दिए गए नंबर पर संपर्क करने के बाद पैसे पहुंचाने का निर्देश दिया।  निर्देश के अनुसार, पैसा प्राप्तकर्ता को दे दिया गया, जो बिहार के औरंगाबाद पहुँचा था।

यह पता चला कि उक्त पुलिस उपाधीक्षक, आरोपी मध्यस्थ व्यक्ति के संपर्क में था, जो अन्य मध्यस्थ व्यक्ति  के साथ घटना के दिन (26/09/2024) रात लगभग 11:30 बजे बिहार के औरंगाबाद में उपस्थित थे, जो रिश्वत की कथित डिलीवरी की पुष्टि करता है। कुछ दिनों के पश्चात, शिकायतकर्ता को एक बार पुनः उक्त पुलिस उपाधीक्षक द्वारा दिनाँक 01/10/2024 को एनआईए कार्यालय पटना में उपस्थित होने के लिए बुलाया गया। शिकायतकर्ता दी गई तारीख पर पुलिस उपाधीक्षक के समक्ष उनके कार्यालय में उपस्थित हुआ।  फिर 70 लाख रु. की रिश्वत की मांग की गई, जिसमें 35 लाख रु. उसी दिन पटना पहुंचाने का निर्देश दिया गया। आरोपी पुलिस उपाधीक्षक ने उन्हें फिर से एक हस्तलिखित नोट दिया जिसमें एक मोबाइल नंबर था और बाद में, शिकायतकर्ता ने दिए गए नंबर पर संपर्क किया तथा पैसे की व्यवस्था करने के लिए कुछ समय मांगा एवं दिनाँक 03/10/2024 को गया में डिलीवरी का आश्वासन दिया।

पूरे मामले को सीबीआई टीम द्वारा एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में भी लाया गया, जिन्होंने सीबीआई टीम के साथ मामले का प्रभावी पर्यवेक्षण भी सुनिश्चित किया।

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