बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए एक व्यक्ति पर लगाए गए Official Secret Act के तहत दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश दिया है। जिस व्यक्ति पर यह धारा लगाई गई थी उसका अपराध सिर्फ इतना इतना था कि उसने एक पुलिस स्टेशन की फोटो अपने मोबाइल से खींची थी। बस इसी बात पर नाराज पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित व्यक्ति पर यह संगीन धारा लगाकर उसे सलाखों के पीछे भेज दिया। पुलिस ने संबंधित व्यक्ति को सीधे जासूस मानकर उसपर जासूसी करने का गंभीर आरोप लगा दिया। अदालत ने माना कि गलत तरीके से और बदनाम और परेशान करने के लिए पीड़ित व्यक्ति को इस आरोप में पुलिस अधिकारियों द्वारा फंसाया गया है। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि पीड़ित व्यक्ति को 25 हजार का मुआवजा भी राज्य सरकार द्वारा दिया जाए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह 25 हजार रुपये उन तमाम पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की तनख्वाह से काटे जाएंगे। जिन्होंने पीड़ित व्यक्ति पर यह धारा लगाई थी। इस मामले के पीड़ित व्यक्ति का नाम रोहन काले है।
अदालत ने जताई हैरानी
अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई है कि सिर्फ पुलिस स्टेशन का एक फोटो खींचने पर कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति पर Official Secret Act के तहत मामला कैसे दर्ज कर सकता है? बॉम्बे हाईकोर्ट के जज रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा 8 दिसंबर को दिया गया। यह आदेश 21 दिसंबर को वेबसाइट पर भी उपलब्ध कर दिया गया है। अदालत ने कहा कि इस धारा के लगाए जाने के बाद जासूसी करने वाले व्यक्ति को काफी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इतना ही नहीं इस आरोप की वजह से किसी व्यक्ति की निजी जिंदगी, उसकी नौकरी और करियर सब कुछ तबाह हो जाता है। किसी के करियर और जीवन को तबाह करने के इरादे से यह धारा नहीं लगाई जा सकती।
कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कानून को एक हथियार की तरह किसी व्यक्ति को प्रताड़ित या तकलीफ पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता। यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा कानूनी रूप से करें। रोहन काले ने इस साल हाईकोर्ट में उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। काले के ऊपर सोलापुर जिले के अकलुज पुलिस स्टेशन के एक हेड कांस्टेबल द्वारा यह FIR दर्ज करवाई गई थी। काले की गलती सिर्फ यह थी कि उन्होंने अपने मोबाइल फोन से पुलिस स्टेशन का एक फोटो खींचा था। यह घटना तक की है जब उन्हें एक अन्य FIR के मामले में पुलिस स्टेशन बुलाया गया था। रोहन काले ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने यह फोटो सिर्फ इसलिए खींची थी कि ताकि वह दिख सकें कि किस तरह एक पारिवारिक विवाद में फंसे हुए लोगों से पुलिसकर्मी दोस्ताना बर्ताव कर रहे थे।
FIR हुई रद्द
अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद रोहन काले के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति पर सिर्फ एक फोटो खींचने की वजह से इतनी गंभीर धारा लगाना बेहद गलत है। कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर अपराध है जिसे पुलिस वालों ने किया है। अदालत ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। अधिकारों का दुरुपयोग पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की तरफ से न किया जाए, इस बात का भी ध्यान रखा जाए।