चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरि शंकर की खंडपीठ ने सचिव, एमओएचयूए पर मामले को निपटने में लंबे समय तक सुस्ती दिखाने के आरोप में जुर्माना भी लगाया है। अदालत सरकारी आवासों में तय अवधि से ज्यादा समय से रह रहे विभिन्न सांसदों और नौकरशाहों की पहचान और निष्कासन की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पिछली सुनवाई पर अदालत ने आवास विभाग को ऐसे अधिकारियों की पहचान करने और कानून के मुताबिक आवश्यक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था। आज, सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि ऐसे अधिकारियों के नामों की पहचान की गई है और उनके खिलाफ ‘आवश्यक केस’ दायर कर दिए गए हैं।

उन्होंने यह भी बताया गया कि 9 सांसदों में से 8 ने अपने सरकारी बंगले खाली कर दिए हैं। इन सांसदों से कुल 35 लाख रुपए की धनराशि वसूल करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने पूछा कि, ‘केस क्यों दायर किए जा रहे हैं, क्या ये अधिकारी विरोध कर रहे हैं।’

इस बिंदु पर, उक्त वकील ने अदालत को सूचित किया कि अभी उसके पास सभी सूचनाओं नहीं है और विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए मामले की सुनवाई टालने को प्राथमिकता देगा।

हालांकि अदालत को यह जवाब पसंद नहीं आया। कोर्ट ने कहा कि-

‘575 से अधिक व्यक्तियों ने मकान खाली नहीं किए हैं, और आप मामले की सुनवाई टालने की मांग कर रहे हैं? आपने इन अधिकारियों को नोटिस भी जारी नहीं किया है। हमें बताएं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हम उन अधिकारियों को निलंबित कर देंगे या उनके वेतन से पैसे काट लेंगे।’

अदालत ने तब वकील से कहा कि वह ओपन कोर्ट में अधिकारियों के नाम पढ़ना शुरू करें और बताएं कि किस पर कितनी राशि बकाया है। पीठ ने कहा कि,’जनता को उनके नाम पता चलने दें’

इस दौरान अदालत के सामने यह भी आया था कि इनमें से कुछ अधिकारी 1998 से, या 2000 से ही ओवरस्टे कर रहे हैं या तय अवधि से ज्यादा समय से रह रहे हैं। उनमें से कुछ की मृत्यु हो गई है, और परिसर अब उनके कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है।

पीठ ने कहा कि-

‘कुछ 1998 से रह रहे हैं और अब 2020 है। क्या आपने उनसे कोई रकम वसूल की है? ये लोग करदाताओं के पैसे पर रह रहे हैं… आप कानून के पलान के बजाय परोपकार नहीं कर सकते हैं। अधिकारी अपने वेतन से भुगतान करेंगे, जुर्माना लगाया जाना चाहिए।’

अदालत ने सरकारी वकील को लताड़ना जारी रखा और कहा कि ‘मात्र एक व्यक्ति से 74 लाख रुपए वसूले जाने हैं, हम टैक्स के ऐसे मामलों की सुनवाई करते हैं, जहां बकाया राशि इससे भी कम होती है। हम संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश जारी करने की हद तक जा सकते हैं।’

अदालत ने संबंधित विभाग की सुस्ती पर आश्चर्य प्रकट किया। सरकारी वकील अदालत को यह भी नहीं बता पाए की ओवरस्टे करने वाले इन अधिकारियों को बकाया पैसे वसूलने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं या नहीं।

पीठ ने कहा कि,’कोई इससे पैसा कमा रहा है, कोई इससे खुश है। इसीलिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लंबे समय तक बरती गई यह सुस्ती आपसी मिलीभगत को दर्शाती है।’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि संबंधित अधिकारी जारी सुस्ती, जिसे इस मामले में दुर्गा शंकर मिश्रा (सचिव, एमओएचयूए) के रूप में पहचाना गया है, ने भारत सरकार के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया है, जो आईपीसी के तहत एक अपराध भी है। अदालत ने सुस्ती बरतने के आरोप में दुर्गा शंकर मिश्रा के आगामी वेतन से 10,000 रुपए काटने आदेश दिया है।

अदालत ने कहा कि,’हजारों और लाख रुपए की वसूली की जरूरत है, और आप अचानक 10,000 रुपए के बारे में चिंतित हो जाते हैं? आपको तब चिंता नहीं होती, जब सरकारी धन पर लागत या जुर्माना लगाया जाता हैं, इसीलिए इस मामले में हम व्यक्तिगत जुर्माना लगा रहे हैं। यह आपको त्वरित कार्रवाई करने के लिए मजबूर करेगा।’

इसी घटनाक्रम के मद्देनजर, अदालत ने विभाग को यह भी निर्देश दिया है कि अगर किसी सक्षम अधिकारी द्वारा स्थगन या रोक का आदेश नहीं दिया गया है तो ओवरस्टे करने वाले सभी अधिकारियों के सामान/उनसे संबंधित चीजों को सड़क पर फेंक दिया जाए।

विभाग को 7 फरवरी को एक अनुपालन रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page