सुप्रीम कोर्ट में कोरोनावायरस और प्रवासी मजदूरों के मामले से जुड़ी याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। एक याचिका में अपील की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट होटलों और रिजॉर्ट को प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम में बदलने के निर्देश दे। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अदालत ने यह याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि लोग तो कई  सुझाव दे सकते हैं, लेकिन हम सरकार को बाध्य नहीं कर सकते कि वह हर एक सुझाव को सुने।

याचिका में अपील की गई थी कि लॉकडाउन के चलते रोजगार खोने वाले प्रवासी मजदूरों को जिन शेल्टर होम में रखा जा रहा है, वहां कथित तौर पर सफाई की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। इस याचिका के अलावा मजदूरों की दिहाड़ी को लेकर लगाई गई अन्य याचिकाओं को भी अदालत ने सीज कर दिया हैं।

केंद्र ने कहा हम मजदूरों की जरूरतों का पूरा ध्यान रख रहे

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले पर सुनवाई करते वक्त , केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रवासी मजदूरों और कोरोनावायरस के मामले पर लगातार दायर की जा रही याचिकाओं पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अपने घरों में आराम से बैठकर एक्टिविस्ट याचिकाएं दाखिल करते जा रहे हैं, इन पर रोक लगाई जानी चाहिए। मेहता ने कहा कि हम मजदूरों की जरूरतों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। सरकार पहले से ही स्कूल और कई इमारतों को शेल्टर होम में बदल चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में,केंद्र को 24 घण्टे के भीतर विशेषज्ञों की समिति गठन करने कहा था

सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को कहा था कि केंद्र यह निश्चित करे कि मजदूरों का पलायन ना हो। जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कहा था कि कोरोना से ज्यादा लोगों की जान तो ये दहशत ले लेगी। कोर्ट ने कहा था कि अगर मजदूरों को समझाने के लिए भजन-कीर्तन भी करना पड़ता है तो वो भी करना चाहिए। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिए थे कि 24 घंटे के भीतर कोरोनावायरस पर विशेषज्ञों की समिति का गठन किया जाए और लोगों को संक्रमण के बारे में जानकारी देने के लिए पोर्टल भी बनाया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page