आर्थिक पिछड़ों को 10% आरक्षण को चुनौती देने पर कुछ एनजीओ ने सरकार के फैसले को चुनौती दी थी, कोर्ट ने 31 जुलाई 2019 को फैसला रिजर्व रखा था पिटीशन लगाने वालों ने की दलील दी थी कि – आरक्षण का आधार आर्थिक पिछड़ापन नहीं हो सकता।
आर्थिक पिछड़ों को 10% आरक्षण को चुनौती देने पर कुछ एनजीओ ने सरकार के फैसले को चुनौती दी थी, कोर्ट ने 31 जुलाई 2019 को फैसला रिजर्व रखा था पिटीशन लगाने वालों ने की दलील दी थी कि – आरक्षण का आधार आर्थिक पिछड़ापन नहीं हो सकता।
जनरल कैटेगरी के आर्थिक पिछड़ों (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट की 5 जजो की संवैधानिक बेंच को रेफर किया जाएगा या नहीं, इस पर आज फैसला होगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और बी आर गवई की बेंच दोपहर करीब 12 बजे इसका ऐलान करेगी। कोर्ट ने 31 जुलाई 2019 को सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व रखा था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक आधार पर आरक्षण के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
कई एनजीओ ने दी थी चुनौती
ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कई पिटीशन फाइल हुई थीं। जनहित अभियान और यूथ फॉर इक्विलिटी जैसे एनजीओ ने इसे चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि आर्थिक स्थिति को पूरी तरह रिजर्वेशन का आधार नहीं बनाया जा सकता। इससे कानून का उल्लंघन हुआ। साथ ही 1992 के इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि रिजर्वेशन की मैक्सिमम 50% लिमिट भी क्रॉस हो गई।
केंद्र ने कहा –
करीब 20 करोड़ गरीब परिवारों की सामाजिक तरक्की के लिए संविधान में बदलाव कर ईडब्ल्यूएस को रिजर्वेशन देने का फैसला किया गया। सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों में भी कहा गया है कि वाजिब वजह होने पर रिजर्वेशन की लिमिट 50% से ऊपर जा सकती है। तमिलनाडु में 68% तक रिजर्वेशन के फैसले पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 जनवरी 2019 को ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू करने की दी थी मंजूरी
केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों और हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10% आरक्षण देने का फैसला किया था। इसके लिए परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम होने समेत कई शर्तें रखी गईं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 जनवरी 2019 को ईडब्ल्यूएस को आरक्षण लागू करने की मंजूरी दी थी।