नई दिल्ली। देश के बहुप्रतीक्षित एवं चर्चित अयोध्या मामले के फैसले को आये 9 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक फैसले की हिंदी कॉपी उपलब्ध नही हो पाई है। इसीलिए हिंदू पक्ष के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में सेक्रेटरी जनरल को अर्जी देकर हिंदी में फैसला उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से अधिवक्‍ता विष्णु शंकर जैन ने यह याचिका दाखिल की है।

अखिल भारत हिंदू महासभा की कमलेश तिवारी के जरिए दाखिल की गई अपील (अपील संख्या 4739-2011 ) में सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल से अयोध्या मामले में 9 नवंबर 2019 को सुनाए गए फैसले की हिंदी भाषा में सत्यापित प्रति उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है।

 पत्र में कहा गया है कि –

 सुप्रीम कोर्ट हिंदी समेत प्रादेशिक भाषाओं में भी फैसले उपलब्ध कराता है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी कई फैसले हिंदी और अन्य प्रादेशिक भाषाओं में उपलब्ध हैं।
देश की 50 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या हिंदी जानती और समझती है। देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो अंग्रेजी नहीं जानते वे इस फैसले को अपनी मात्रभाषा में पढ़ने को उत्सुक हैं। जैन ने नियमों के मुताबिक फैसले का हिंदी अनुवाद उन्हें उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। याचिका में कहा गया है कि आम जनता से जुड़ा अयोध्या राम जन्मभूमि का ऐतिहासिक फैसला अभी सिर्फ अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले को अहम मुकदमों में एक माना था और जिसकी लगातार 40 दिन तक सुनवाई की गई। यह केस यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील का था। यूपी की प्रादेशिक भाषा हिंदी है। सामान्य तौर पर मुकदमा जिस प्रदेश से आता है उस प्रदेश की प्रादेशिक भाषा को अनुवाद में प्राथमिकता दी जाती है। इस हिसाब से राम जन्मभूमि मामले में आए फैसले का हिंदी में अनुवाद होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में कुछ फैसलों के अनुवाद के लिए’SUVAS’ नाम के एप का इस्तेमाल 2019 से किया जा रहा है

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अनुवाद 9 भाषाओं में करने के लिए एक एडवांस सॉफ्टवेयर बनाया गया है। इसका नाम सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर यानि SUVAS है। सॉफ्टवेयर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुवाद हिंदी, असमी, बंगाली, कन्नड़, मराठी, उड़िया, तमिल, तेलुगू और उर्दू में करता हैं। सॉफ्टवेयर की लॉन्चिंग 26 नवंबर 2019 को हुई थी। विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया था कि फिलहाल इसमें श्रम, किराया अधिनियम, भूमि अर्जन और अधिग्रहण, सेवा, प्रतिकर, दांडिक, कुटुम्ब विधि, साधारण सिविल, स्वीय विधि, धार्मिक और पूर्त विन्यास, साधारण धन और बंधक, सरकारी स्थान (बेदखली) अधिनियम के अधीन बेदखली मामले, भूमि विधियां और कृषि अभिधृतियां तथा उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित मामले शामिल हैं। चूंकि अयोध्या फैसला अत्यंत वृहद एवं महत्वपूर्ण हैं, तो शायद इसका अनुवाद सुवास एप द्वारा नही किये जाने की संभावना है, हालांकि इसे लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नही हुई हैं, की राम मंदिर के फैसले का अनुवाद करने में ‘सुवास’ एप का इस्तेमाल होगा या नही।

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने की थी पहल

इस मामले में फैसला देने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने की थी। जस्टिस गोगोई ने ही देश की आम जनता की अंग्रेजी भाषा को समझने की कठनाइयों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले अंग्रेजी के अलावा हिंदी समेत करीब नौ भाषाओं में उपलब्ध कराने शुरू किए थे। उनके कार्यकाल में ही बहुत से फैसले हिंदी एवं अन्य भाषाओं में उपलब्ध हो चुके थे। कुछ फैसले तो एक से अधिक भाषा में उपलब्ध हैं।

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