देश की सुप्रीम कोर्ट ने तीन दशक पुराने दोहरे हत्याकांड में पूर्व BSP विधायक छोटे सिंह के खिलाफ फिर से केस शुरू किया। दरअसल देश की न्यायिक प्रणाली पर ध्यान देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि ये अक्सर लंबे समय तक देरी और संदिग्ध राजनीतिक प्रभाव के व्यापक मुद्दों से जूझती है।

‘मुकदमा वापस लेने के लिए राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल हुआ’
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा, हम यह भी स्वीकार करते हैं कि 19 मई, 2012 के ट्रायल कोर्ट के आदेश से यह स्पष्ट है कि आरोपी छोटे सिंह के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट ने कहा कि नौ अन्य आरोपियों पर मुकदमा वापस लेने के उनके आवेदन बिना किसी कारण के आदेश के खारिज कर दिए जाने के बाद मुकदमा चलाया गया।

‘मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की जरूरत थी’
बेंच ने कहा कि 19 मई, 2012 के आदेश को अभियुक्तों और पीड़ितों दोनों ने चुनौती दी थी, लेकिन मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 12 वर्षों तक लंबित रहा, जिसके कारण मुकदमे की कार्यवाही में गतिरोध पैदा हो गया, जो बेहद परेशान करने वाला है। बेंच ने आगे कहा कि जबकि स्थिति की गंभीरता और न्याय के हनन के जोखिम को देखते हुए, तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी।

अनुचित प्रभाव स्थिति को और बढ़ा देता है- सुप्रीम कोर्ट
बेंच ने कहा कि- हमारे देश की न्यायिक प्रणाली अक्सर कानूनी कार्यवाही में लंबे समय तक देरी और संदिग्ध राजनीतिक प्रभाव के व्यापक मुद्दों से जूझती है। वर्तमान मामला उस खतरनाक प्रवृत्ति को उजागर करता है, जहां मामलों, विशेष रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों से जुड़े मामलों में, न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न करते हुए, महत्वपूर्ण देरी का सामना करना पड़ता है। शक्तिशाली व्यक्तियों की तरफ से इस्तेमाल किया जाने वाला अनुचित प्रभाव स्थिति को और बढ़ा देता है, जिससे निष्पक्षता और निष्पक्षता के बारे में चिंताएं पैदा होती हैं।

‘अच्छी छवि के आधार पर अभियोजन वापस लेना सही नहीं’
बेंच ने कहा कि यह मामला चिंताजनक परिस्थितियों को प्रस्तुत करता है, जिसमें दिनदहाड़े दोहरे हत्याकांड के आरोपी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति लगभग तीन दशकों से मुकदमे से बचते आ रहे हैं। बेंच ने कहा कि दोहरे हत्याकांड जैसे गंभीर अपराध के मामलों में जांच के बाद चार्जशीट में आरोपी की अच्छी छवि के आधार पर अभियोजन वापस लेना सही नहीं है। ट्रायल कोर्ट के दृष्टिकोण के खिलाफ इस तरह की वापसी को सार्वजनिक हित में अनुमति नहीं दी जा सकती है।

क्या है दोहरा हत्याकांड?
पूर्व बसपा विधायक छोटे सिंह पर नौ अन्य लोगों के साथ 30 मई, 1994 को राजकुमार और जगदीश शरण पर अंधाधुंध गोलीबारी करने का आरोप है। वहीं इस मुकदमे के लंबित रहने के दौरान छोटे सिंह 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुने गए। 2007 में सत्ता में आई बसपा ने 2008 में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत मामले में छोटे सिंह और अन्य के खिलाफ अभियोजन वापस लेने का फैसला किया था। वहीं 2012 में, ट्रायल कोर्ट ने छोटे सिंह के पक्ष में अभियोजन वापस लेने के आवेदन का फैसला किया, यह देखते हुए कि उनकी छवि जनता के बीच अच्छी है और वे समाज के एक सम्मानित नागरिक हैं।

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