देश की राजधानी दिल्‍ली में MCD के बुलडोजर का सितम तो याद ही होगा। करीब डेढ़ दशक पहले राजधानी में कोर्ट के आदेश के बाद MCD ने अवैध निर्माण पर जमकर एक्‍शन लिया था। सीलिंग की कार्रवाई भी खूब हुई थी। चारों तरफ हाहाकार मच गया था। एक बार फिर शहर में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलना तय माना जा रहा है।

इस बार हाईकोर्ट ने MCD नहीं बल्कि दिल्‍ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए को यह आदेश दिया है। यमुना के तट के पास अवैध निर्माण को हटाने के लिए हाईकोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष को नदी के तट, नदी तल के साथ-साथ नदी में बहने वाले नालों पर सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने डीडीए उपाध्यक्ष को इस उद्देश्य के लिए दिल्ली नगर निगम (MCD), दिल्ली पुलिस, डीएमआरसी, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया और उन्हें एक सप्ताह के भीतर सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाने को आदेश दिया है।

छह सप्‍ताह में सौंपनी है रिपोर्ट
दिल्‍ली हाईकोर्ट में शाहीन बाग के पास यमुना नदी के तट पर कुछ अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने के निर्देश देने की मांग को लेकर एक याचिका लगाई गई थी। इसपर सुनवाई करते हुए 8 जुलाई को चीफ जस्टिस की बेंच ने यह आदेश पारित किया। याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई कि वे निकट भविष्य में यमुना नदी के तट और उसके डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोकने के लिए कदम उठाएं।

बेंच का हिस्‍सा न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने कहा, “सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, यह अदालत डीडीए के उपाध्यक्ष को यमुना नदी के तट, नदी तल और यमुना नदी में बहने वाले नालों पर सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश देती है।” अदालत ने डीडीए के उपाध्यक्ष को छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

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