सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर सुनवाई 12 जुलाई तक स्थगित कर दी। उन्हें पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। बता दें कि इससे पहले एक स्थानीय अदालत तीन बार और हाईकोर्ट उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुके हैं।
बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने समय मांगा। इस पर जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले को स्थगित कर दिया। पीठ ने कहा, “इसे 12 जुलाई को सूची के अंत में सूचीबद्ध करें।” वहीं दूसरी ओर वी सेंथिल बालाजी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले में ईडी द्वारा कई स्थगन लिए जा चुके हैं। वहीं शीर्ष अदालत ने 1 अप्रैल को एजेंसी को नोटिस जारी किया था, जिसमें बालाजी की जमानत याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था।
बता दें कि 28 फरवरी को मद्रास हाईकोर्ट ने बालाजी की जमानत याचिका को खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि अगर उन्हें इस तरह के मामले में जमानत पर रिहा करेंगे तो इससे गलत संकेत जाएगा और यह व्यापक जनहित के खिलाफ होगा। वहीं उनके वकील का तर्क था कि याचिकाकर्ता ने आठ महीने से अधिक समय तक कारावास की सजा काट ली है। इसलिए विशेष अदालत को समय सीमा के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार दैनिक आधार पर मुकदमा चलाया जाएगा।
दरअसल, बालाजी को पिछले साल 14 जून को एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। यह मामला नौकरी के लिए नकदी घोटाले से जुड़ा था। मामला तब का है, जब वे एआईएडीएमके सरकार के दौरान परिवहन मंत्री थे। वहीं इस मामले में पिछले साल 12 अगस्त को ईडी ने बालाजी के खिलाफ 3,000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था। जिसके बाद 19 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने बालाजी की पिछली जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
देश में बाल विवाह में वृद्धि के आरोप की याचिका का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक गैर सरकारी संगठन की जनहित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया कि बाल विवाह को लेकर बने कानून सरकार ने शब्द और भावनात्मक रूप से लागू नहीं किया।
मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता ‘सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलंटरी एक्शन’ के वकील और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलीलें सुनीं। इसके बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा। सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने केंद्र की ओर से दावा किया कि देश में बाल विवाह के मामलों में काफी कमी हुई है।
वहीं इससे पहले शीर्ष अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को बाल विवाह निषेध अधिनियम को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों की विवरण के साथ रिपोर्ट मांगी है।