हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में वर्ष 2020 में गणित विभाग में हुईं दो एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्तियां हाईकोर्ट ने रद्द कर दी हैं। अदालत ने पाया कि नियुक्तियां एचपीयू के अधिनियम 1970 और यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर की गईं। पद भरने की शक्तियां कार्यकारी काउंसिल को दी गई हैं। कुलपति के पास यह अधिकार नहीं है।

धारा 12 -सी (7) के तहत कुलपति कोई नियुक्ति नहीं कर सकते। कुलपति अगर नियुक्तियों के मामले में कोई निर्णय लेते हैं तो उसे कार्यकारी काउंसिल की मान्यता मिलनी चाहिए। मान्यता न मिलने पर ऐसी नियुक्तियों को गैरकानूनी ठहराया जाएगा। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने याचिका निपटाते हुए विश्वविद्यालय को नियमों के तहत नए सिरे से दोनों पद भरने के लिए विज्ञापन जारी करने के आदेश दिए।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में वर्ष 2021 में याचिका दायर कर शिक्षक चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एचपीयू ने 30 दिसंबर 2019 को तीन पद भरने के लिए विज्ञापन निकाले और 14 दिसंबर को साक्षात्कार हुआ।

कुलपति ने प्रतिवादियों को 15 दिसंबर 2020 को सह आचार्य के पद पर नियुक्त किया। याचिकाकर्ता ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज मांगे, जिसमें पाया गया कि प्रशासन ने अपने लोगों को विभाग में लाने के लिए नियम तोड़े और अयोग्य लोग भर्ती किए। उन्होंने अदालत से इनकी नियुक्तियां रद्द करने की गुहार लगाई थी। वहीं विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि प्रशासन ने शिक्षकों की नियुक्तियां नियमों के तहत की हैं।

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