सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई उन याचिकाओं की जांच करने पर सहमति जताई, जिसमें टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए चार दोषियों को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दिल्ली पुलिस की चार याचिकाओं पर नोटिस जारी किया और उन्हें चारों दोषियों को दी गई जमानत के खिलाफ विश्वनाथन की मां की लंबित याचिका के साथ संलग्न कर दिया है।

शुरू में दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत को सूचित किया कि चूंकि शीर्ष अदालत द्वारा पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है, इसलिए सभी याचिकाओं को संलग्न किया जाना चाहिए। पीठ ने नोटिस जारी किया और याचिकाओं को लंबित मामले के साथ संलग्न कर दिया।

हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार की सजा को उनकी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपीलों के लंबित रहने तक निलंबित कर दिया था और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि दोषी 14 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं।

इसी साल 22 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने विश्वनाथन की मां द्वारा चारों दोषियों को दी गई जमानत के खिलाफ दायर याचिका की जांच करने पर सहमति जताई थी। और माधवी विश्वनाथन की याचिका पर दिल्ली पुलिस और चारों दोषियों को नोटिस जारी किए थे।

गौरतलब है कि समाचार चैनल इंडिया टुडे में काम करने वाली सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 की सुबह दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, वारदात के वक्त वह अपनी कार में काम से घर लौट रही थीं।

एक विशेष अदालत ने पिछले साल 25 नवंबर को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की धारा 3(1)(i) (किसी व्यक्ति की हत्या के परिणामस्वरूप संगठित अपराध करना) के तहत दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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