हाईकोर्ट ने यमुना खादर स्लम यूनियन द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यमुना बाढ़ के मैदानों में अनधिकृत निर्माण करने वाले अतिक्रमणकारियों को हटने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे अतिक्रमणकारी दिल्ली के निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा आप घड़ियाली आंसू न बहाएं और 2009 से आपने अंतरिम रोक ले रखी है और अभी तक बाहर नहीं निकले हैं। कोर्ट ने कहा कि आपके लोग सिर्फ झूठ बोल रहे हैं। झूठ के अलावा कुछ नहीं। लोगों को वहां से हटना होगा, क्योंकि पानी पूरे शहर में वापस बहकर आ रहा है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कोर्ट में इस तरह से झूठ नहीं बोल सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि यमुना खादर स्लम यूनियन के पास याचिका दाखिल करने के कोई अधिकार नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह लोग बाढ़ प्रभावित इलाके में सिर्फ रह ही नहीं रहे है बल्कि यह लोग वहां पर कॉमर्शियल एक्टिविटी भी कर रहे है। पानी के फ्लो को यमुना में रोक भी रहे है।