दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक फैसले में कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा खारिज किए जाने के कारणों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि यह संबंधित लोगों के हितों के खिलाफ होगा और इससे उनकी नियुक्ति प्रक्रिया बाधित भी हो सकती है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सिफारिशों को स्वीकार करने से इनकार करते हुए विस्तृत कारण दिए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को निर्देश देने की मांग की गई थी।

इन आधार पर फैसले को दी जा सकती है चुनौती
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति एकीकृत, परामर्शी और गैर-प्रतिकूल प्रक्रिया है, जिसे नामित संवैधानिक अधिकारियों के साथ परामर्श की कमी या नियुक्ति के मामले में पात्रता की किसी भी शर्त की कमी या चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सिफारिश के बिना किए गए ट्रांसफर के आधार पर ही कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

नियुक्ति प्रक्रिया पर पड़ेगा असर: दिल्ली हाईकोर्ट
खंडबेंच ने कहा, “इसके अलावा, अस्वीकृति के कारणों का पता चलने से उन लोगों के हितों और प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा जिनके नामों की सिफारिश हाईकोर्टों ने की है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम उस जानकारी के आधार पर विचार-विमर्श और निर्णय लेता है, जो उस व्यक्ति के लिए निजी है। यदि ऐसी जानकारी सार्वजनिक की जाती है, तो इसका असर नियुक्ति प्रक्रिया पर पड़ेगा।”

राकेश कुमार गुप्ता ने दायर की थी याचिका
बता दें, यह याचिका राकेश कुमार गुप्ता ने दायर की थी। राकेश ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए विचार किए गए मानदंडों या योग्यता के बारे में विवरण मांगा था। उन्होंने एससी कॉलेजियम द्वारा लंबित, सिफारिश के निपटान से संबंधित मासिक डेटा प्रकाशित करने की भी मांग की थी। उनका कहना था कि पिछले साल हाईकोर्ट में जजों की पदोन्नति के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा की गई सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अस्वीकार करने का प्रतिशत लगभग 35.29% था, जबकि 2021 में यह प्रतिशत केवल 4.38% था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page