केरल हाईकोर्ट का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ काम की तलाश में पाकिस्तान गया था, तो उसे डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स के तहत ‘दुश्मन’ करार नहीं दिया जा सकता है। अदालत में जमीन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जो कुछ समय पाकिस्तान में रहे उसके पिता की संपत्ति थी। अदालत ने संपत्ति के खिलाफ लिए गए ऐक्शन को खारिज कर दिया और राजस्व विभाग को संपत्ति कर लेने आदेश दिए हैं।

क्या था मामला

मलप्पुरम के उमर कोया केरल पुलिस से रिटायर हो चुके हैं। हाईकोर्ट में उनकी तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। उनका कहना था कि उनके पिता की संपत्ति एनीमी प्रॉपर्टी एक्ट 1968 के प्रावधानों के तहत नहीं हो सकती। कोया ने बताया कि उनके पिता कुंजी कोया रोजगार की तलाश में साल 1953 में पाकिस्तान के कराची गए थे और कुछ समय के लिए होटल में हेल्पर के तौर पर काम किया था। बाद में वह भारत लौट आए और 1995 में निधन हो गया था

याचिकाकर्ता जब संपत्ति कर का भुगतान करने पहुंचा, तो अधिकारी ने बताया कि तहसीलदार ने कस्टोडियन ऑफ एनीमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया (CEPI) के आधार पर उससे कर नहीं लेने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता के पिता पर एनीमी प्रॉपर्टी एक्ट 1968 की धारा 2(बी) पर दुश्मन होने का संदेह था। इसके बाद याचिकाकर्ता को मिला संपत्ति का हिस्सा भी ‘दुश्मन संपत्ति’ के शक के दायरे में आया।

बाद में कोया ने कहा कि लगातार उत्पीड़न के बाद वह एक भारतीय नागरिक होने का दर्जा तय करने के लिए केंद्र सरकार के पास पहुंचा था। समाचार पत्र के अनुसार, यह तय हो गया था कि उनके पिता ने इच्छा से पाकिस्तान की नागरिकता हासिल नहीं की थी और भारतीय नागरिक रहे। ताजा सुनवाई के दौरान जस्टिस विजू अब्राहम की बेंच ने कहा कि उमर के पिता को डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1962 और 1971, दोनों के ही तहत ‘दुश्मन’ नहीं कहा जा सकता।

बेंच ने इस बात पर भी जोर दिया कि CEPI के पास ‘दुश्मन’ के साथ कारोबार करने के आरोपों को लेकर भी कोई सबूत नहीं है। साथ ही किसी ‘दुश्मन कंपनी’ के साथ किसी तरह के व्यवसाय में शामिल होने के सबूत नहीं हैं।

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