• बार काउंसिल में झूठी जानकारी देकर कराया पंजीयन, जुर्म दर्ज
  • इससे पहले पटवारी की शिकायत पर पुलिस ने दूसरे पक्ष पर जुर्म दर्ज किया था।

बिलासपुर। अधिवक्ता प्रभाकर सिंह चंदेल की शिकायत पर चकरभाठा पुलिस ने पटवारी से अधिवक्ता बने संतोष पांडेय के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया है। इससे पहले पटवारी से वकील बने संतोष पांडेय की शिकायत के आधार पर जांच के बाद चकरभाठा पुलिस ने छत्तीसगढ़ स्टेट बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन प्रभाकर चंदेल, सचिव अमित कुमार वर्मा, नामांकन समिति के सदस्य चंद्रप्रकाश जांगड़े, सचिव अमित कुमार वर्मा, परिषद के कर्मचारी पुष्पेंद्र जायसवाल समेत अन्य के विरुद्ध धारा 384,467, 468, 471, 34 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं 13 (2) के तहत जुर्म दर्ज कर लिया है। यह मामला गुरुवार सुबह 11 बजे पंजीबद्ध हुआ।

बार कौंसिल के पूर्व आला पदाधिकारियों पर संतोष पांडेय ने आरोप लगाया है कि उनके निरस्त अधिवक्ता लाइसेंस को बहाल करने व आदेश की प्रति उपलब्ध कराने के एवज में दो लाख रूपये की मांग की गई थी। बाद में 60 हजार में सौदा तय हुआ था। पुलिस ने अपराध दर्ज कर इसे विवेचना में लिया है। पटवारी की शिकायत पर पुलिस ने दूसरे पक्ष पर जुर्म दर्ज किया था।

संतोष पांडेय ने शर्तों को पूरा नहीं किया : प्रभाकर सिंह चंदेल

अधिवक्ता प्रभाकर सिंह चंदेल ने अपनी शिकायत में बताया कि संतोष कुमार पांडेय ने अधिवक्ता के रूप में पंजीयन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद में आवेदन किया था। इस पर नामांकन समिति ने सेवानिवृत्ति के संबंध में प्रमाण पत्र जल्द जमा करने की शर्त पर विधि व्यवसाय करने की अनुमति दी थी। इसके बाद संतोष पांडेय ने शर्तों को पूरा नहीं किया। इस दौरान वे वकालत करते रहे। और संतोष पांडेय ,शासन से निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ता भी लेते रहे। संतोष पांडेय के खिलाफ कोरमी निवासी उमेश बंजारे ने राज्य अधिवक्ता परिषद में शिकायत की।

पटवारी की पदस्थापना, सेवानिवृत्ति व निलंबन के संबंध में समिति ने मांगी जानकारी

नामांकन समिति की ओर से कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार को पत्र लिखकर संतोष पांडेय की पदस्थापना, सेवानिवृत्ति व निलंबन के संबंध में जानकारी मांगी गई। समय पर इसका जवाब नहीं मिलने पर अधिवक्ता परिषद की ओर से स्मरण पत्र भेजा गया। इस पर एसडीएम ने बार काउंसिल को संतोष पांडेय के संबंध में जानकारी दी। इसमें बताया गया कि संतोष पांडेय की पटवारी के पद में प्रथम नियुक्ति 9 दिसंबर 1997 की है। पटवारी पांडेय को 25 जनवरी 2018 में निलंबित कर दिया गया है।

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन नहीं किया गया था, स्वीकार

 जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने के थे निर्देश

निलंबन आदेश में शासन के नियम अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने के निर्देश थे। एसडीएम ने बताया कि संतोष पांडेय ने सेवा के 20 साल पूरे होने के आधार पर 31 दिसंबर 2017 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया था। इस आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया। जनवरी 2018 से निलंबित पटवारी को नियमित रूप से जीवन निर्वाह भत्ता दिया जा रहा है।

अधिवक्ता प्रभाकर चंदेल ने अपनी शिकायत में बताया कि जीवन निर्वाह भत्ता लेने के बाद भी झूठी जानकारी देकर संतोष पांडेय ने अधिवक्ता परिषद में पंजीयन करा लिया। इस पर अधिवक्ता परिषद की नामांकन समिति ने दस्तावेज के आधार पर अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष के पास जानकारी भेज दी। साथ ही 10 जनवरी को यह मामला राज्य अधिवक्ता परिषद के सामान्य सभा में भी रखा गया।

इसमें संतोष पांडेय के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर, निर्णय के लिए परिषद के अध्यक्ष को अधिकृत किया गया। अधिवक्ता परिषद मामले में कार्यवाही करती इससे पहले कार्यकाल पूरा हो गया। वर्तमान में विशेष समिति काम कर रही है। अधिवक्ता की शिकायत पर पुलिस ने संतोष पांडेय के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया है।

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