बॉम्बे हाईकोर्ट का कहना है कि बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा ने ऐसे वकीलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी शुरू कर दी है, जो कोर्ट के भीतर उचित पोशाक नहीं पहनते।

इस संबंध में शुक्रवार सुबह बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता केएन सुरेंद्रन पिल्लई की ओर से पेश वकील जगदीश आहूजा ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली 2018 में दायर रिट याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया।

हालांकि, बेंच ने ध्यान दिया कि आहूजा ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत वकीलों द्वारा पहने जाने वाले बैंड और गाउन नहीं पहना हुआ था। इस पर बेंच ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करेगा।

Advocates Act की धारा 49(1) (जीजी) के तहत बार काउंसिल ऑफ इंडिया कोर्ट या किसी ट्रिब्यूनल के समक्ष सुनवाई के लिए वकीलों की पोशाक को लेकर नियम तय करता है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 24 अगस्त 2001 को सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, अधीनस्थ अदालतों और ट्रिब्यूनल के समक्ष सुनवाई के दौरान पुरुष और महिला वकीलों के लिए ड्रेस कोस तय किए थे।

बता दें कि इससे पहले पिछले साल बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई इसलिए स्थगित कर दी थी क्योंकि वकील ने कोट नहीं पहना था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ड्रेस कोड का पालन नहीं करने की वजह से आपत्ति जताई थी।

क्या है ड्रेस कोड?
पुरुष वकीलों के लिए काले रंग के बटन वाला कोट, अचकन, काली शेरवानी और सफेद बैंड और गाउन तय किए गए हैं। इसके साथ ही काले रंग के खुले ब्रेस्ट कोट, सफेद कमीज, सफेद कॉलर और गाउन भी पहने जा सकते हैं।

वहीं, महिला वकीलों के लिए काले रंग की पूरी बाजू की जैकेट या ब्लाउज, सफेद कॉलर, सफेद बैंड और गाउन ड्रेस कोड का हिस्सा हैं। इसके साथ सफेद ब्लाउज, सफेद बैंड और काले रंग के ओपन ब्रेस्ट कोट भी पहने जा सकते हैं।

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