दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने राष्ट्रीय राजधानी के अस्पतालों की आग पर केजरीवाल सरकार को एक सख्त निर्देश जारी किया है। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी में छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में आग से सुरक्षा को लेकर अनिवार्य मानकों को लागू करने के लिए चार हफ्ते के भीतर फैसला ले। दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश ऐसे समय आया है जब दिल्ली के कुछ अस्पतालों में आग लगने की बड़ी घटनाएं सामने आई हैं।

समाचार पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह युगांश मित्तल की ओर से दायर पीआईएल को प्रतिनिधि के तौर पर ले और कानून के तहत उस पर निर्णय ले। अदालत ने कहा कि इस पर आठ हफ्ते के भीतर एक्शन रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए। बता दें कि 26 मई को विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग से सात नवजातों की मौत हो गई थी।

यह जनहित याचिका इसी घटना के मद्देनजर दायर की गई थी। इस पीआईएल में अधिकारियों को दिल्ली अग्निशमन सेवा नियम, 2010 के तहत पहले से स्थापित अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुपालन के संबंध में छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम का निरीक्षण करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। इस याचिका में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया था कि दिल्ली में रजिस्टर्ड लगभग 1000 अस्पतालों में से केवल 196 के पास ही फायर सिक्योरिटी को लेकर एनओसी है।

यह जनहित याचिका इसी घटना के मद्देनजर दायर की गई थी। इस पीआईएल में अधिकारियों को दिल्ली अग्निशमन सेवा नियम, 2010 के तहत पहले से स्थापित अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुपालन के संबंध में छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम का निरीक्षण करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। इस याचिका में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया था कि दिल्ली में रजिस्टर्ड लगभग 1000 अस्पतालों में से केवल 196 के पास ही फायर सिक्योरिटी को लेकर एनओसी है।

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