राजकोट के गेमिंग जोन में हुए भयावह हादसे में थाराजकोट पुलिस ने तीसरे आरोपी को भी गिरफ्तार किया है। राहुल राठौड़ नाम का ये आरोपी TRP गेमिंग जोन में पार्टनर था। दरअसल इस दर्दनाक घटना में चार बच्चों समेत 27 लोगों की जान चली गई।
वहीं इस राजकोट अग्निकांड मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका दायर की गई थी। सरकारी वकील मनीष झा ने बताया कि हाईकोर्ट में साढ़े चार घंटे तक सुनवाई चली। इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि गेम जोन आरएमसी, पुलिस और सड़क एवं भवन विभाग के अधिकारियों की निगरानी में चलता था। गेम जोन 2021 में चालू हुआ और तीन साल बाद मंजूरी मांगी गई। फायर NOC तक नहीं था।
एडवोकेट झा ने कहा कि राज्य मशीनरी से संबंधित शिकायतों के लिए और क्या इसका उपयोग किया जाता है। कोर्ट ने SIT को 72 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया था। यह नगर आयुक्त की लापरवाही है। इस याचिका में मामला लंबित रखा गया था। अगर निलंबन करना हो तो वह भी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा अदालत ने सुनवाई जब इस बात पर चर्चा हुई कि क्या मलबा हटाया जाएगा तो एफएसएल की जांच की बात आने पर मामले को गंभीरता से लिया गया और यह देखने को कहा कि सबूत नष्ट न हों। पुलिस ने मलबा नहीं हटाया, लेकिन फायर स्टाफ ने शव ढूंढने के लिए मलबा हटा दिया। डीएनए रिपोर्ट नहीं आयी है। गुमशुदगी की शिकायत आएगी, आंकड़े आएंगे, उसकी जांच होगी और डीएनए रिपोर्ट आएगी, तस्वीर साफ हो जाएगी।
‘निगम की नाक के नीचे चल रहा था गेमिंग जोन’
कोर्ट ने कहा कि निगम की नाक के नीचे बिना मंजूरी के गेम जोन चल रहा था। गेम जोन तीन साल से बिना जरूरी मंजूरी के चल रहा था, सवाल यह है कि बिना स्थानीय थाने की बिना इजाजत के ऐसा गेम जोन कैसे चल सकता है।
वहीं राजकोट घटना के बाद AMC, VMC, SMC ने भी नियमों की जांच शुरू की है। अदालत ने कहा कि राजकोट की घटना आंखें खोलने वाली है। मासूम बच्चों की मौत के बाद सिस्टम की आंखें खुल गई हैं।
इस मामले में राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से एक SIT का गठन किया है। अंतरिम रिपोर्ट आज या कल उपलब्ध होने की गारंटी है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आग में प्रदेश के निर्दोष लोगों की जान नहीं जानी चाहिए। अग्नि सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इस तरह की मानव निर्मित घटनाओं से परिवार अपने सदस्यों को खोना कब बंद करेंगे इसका जवाब दिया जाना चाहिए।
टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों को भवन और अस्थायी संरचना की अग्नि सुरक्षा के लिए सख्त आवश्यक उपाय करने का निर्देश दें। कमिश्नर सहित निगम के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।
‘बच्चों की मौत की कीमत पर चल सकता गेमिंग जोन’
राज्य सरकार SIT रिपोर्ट को हलफनामे के रूप में कोर्ट में दाखिल करेगी। ऐसा गेम जोन छोटे बच्चों की मौत की कीमत पर नहीं चल सकता। हम अदालत की अवमानना कर सकते हैं लेकिन इस स्तर पर यह जरूरी नहीं है
अब तक क्या-क्या कदम उठाए गए’
2021 के बाद ऐसी सभी घटनाओं के लिए हम मानते हैं कि नगर आयुक्त जिम्मेदार हैं, लेकिन इस स्तर पर हम कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं। राजकोट नगर आयुक्त और जिम्मेदार अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे जवाब पेश करें कि वर्ष 2021 से अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि अग्नि सुरक्षा निकास, उपकरण, कर सहित विवरण प्रदान करें। अग्नि सुरक्षा और गेम जोन मुद्दे पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट और भविष्य की योजना के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इसके अलावा राजकोट पुलिस कमिश्नर को भी स्पष्टीकरण दें। आयुक्तों को अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले खेल क्षेत्रों की सूची देना अनिवार्य है।
‘ये हत्याकांड है’
कोर्ट ने कहा कि राजकोट म्युनिसिपल कमिश्नर को कोई राहत नहीं दी जाएगी। ये हत्याकांड है, ये लापरवाही है याद रखिए। अभी हम सस्पेंड कर सकते हैं, लेकिन जवाब देने के लिए अभी सस्पेंड नही कर रहे है। बता दें कि तीन जून तक कोर्ट में हलफनामा दाखिल करना होगा। छह जून को आगे सुनवाई होगी।