मुंबई की एक विशेष अदालत ने 263 करोड़ रुपये के आयकर रिफंड धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में सोमवार को एक व्यक्ति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच का हवाला देते हुए कहा कि उसके पास यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि व्यक्ति धनशोधन के अपराध का दोषी है।

ED ने कहा कि आरोपी पुरुषोत्तम चव्हाण अपराध में सक्रिय रूप से शामिल था और उसने आपराधिक कमाई को वैध बनाने के लिए विभिन्न चरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एजेंसी ने 19 मई को चव्हाण के मुंबई स्थित परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसके एक दिन बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। चव्हाण को सोमवार को हिरासत की अवधि समाप्त होने पर विशेष PMLA न्यायाधीश एमजी देशपांडे के सामने पेश किया गया। अदालत ने जांच एजेंसी की मांग पर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

ED ने अदालत को बताया कि आरोपी ने सबूतों को नष्ट किया है, जिससे यह पता चलता है कि उसने जो पैसा हासिल किया, उसका अंतिम इस्तेमाल कैसे हुआ। जांच एजेंसी ने कहा कि आरोपी ने आवास से बरामद संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों को संबंध में तथ्यों का खुलासा नहीं किया। इसलिए उसकी न्यायिक हिरासत बहुत जरूरी है। उसकी रिहाई निश्चित रूप से चल रही जांच को प्रभावित करेगी। इसके बाद अदालत ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

यह जांच आयकर विभाग से कथित रूप से धोखाधड़ी से 263.95 करोड़ रुपये का TDS रिफंड जारी करने से जुड़ी है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी ED के धनशोधन मामले का आधार है। ED ने इससे पहले इस मामले में मुख्य आरोपी और पूर्व वरिष्ठ कर सहायक तानाजी मंडल अधिकारी, भूषण पाटिल, राजेश शेट्टी और राजेश बृजलाल बटरेजा को गिरफ्तार किया था।

ED ने आरोप लगाया कि बटरेजा और चव्हाण नियमित रूप से संपर्क में थे और हवाला लेनदेन और अपराध से हासिल पैसे के हेरफेर से जुड़े संदेश साझा करते थे। विभिन्न आरोपियों की 168 करोड़ रुपये की संपत्ति अब तक कुर्क की जा चुकी है। ED ने अधिकारी और दस अन्य के खिलाफ दिसंबर 2023 में आरोपपत्र दायर किया था।

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