मुंबई। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने आयातित दवाओं पर बहुत ज्यादा निर्भरता से बचने की सलाह देते हुए केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से विदेश में बनी टोसिलिजुमाब जैसी दवाओं के उपयुक्त विकल्प के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कहा है। इस दवा का इस्तेमाल कोविड-19 रोगियों के इलाज में किया जाता है। कोर्ट ने कहा कि टोसिलिजुमाब के अभाव में सरकार नागरिकों को अन्य स्थानीय निर्मित, सस्ती और व्यापक रूप से उपलब्ध दवाएं जिनका इसकी जगह इस्तेमाल किया जा सकता है, के बारे में अनिवार्य रूप से बताए।
हाई कोर्ट ने कहा,
‘भारत सरकार ने रिकार्ड पर अपना पक्ष रखा है कि आइटोलिजुमाब, डेक्सामेथासोन और मेथलप्रेडनिसोलोन समान और टोसिलिजुमाब से बेहतर हैं। आम धारणा को दुरुस्त करने का यही उपयुक्त समय है। आम धारणा है कि केवल टोसिलिजुमाब से ही गंभीर कोविड-19 रोगी का इलाज हो सकता है।’
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