पंजाब के चंडीगढ़ से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता अपने वेतन और बाद में फिर पेंशन के लिए 43 साल तक लड़ाई लड़ता रहा। यह लड़ाई लड़ते-लड़ते कर्मचारी की मौत भी हो गई। मौत के दो साल बाद कोर्ट ने कर्मचारी को पक्ष में फैसला सुनाया और बैंक के खिलाफ 10 लाख तक का जुर्माना लगा दिया।
हाईकोर्ट ने 29 साल तक का वेतन और 10 साल के पेंशन में देरी करने के मामले में कोर्ट बैंक पर जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि पिता की इस लड़ाई में मिलने वाली राशि उनके कानूनी वारिसों को दिया जाए। कोर्ट के मुताबिक, बैंक की ओर से की गई देरी के कारण यह मामला इतने सालों तक लटका रहा।
इंसाफ की लड़ाई लड़ते-लड़ते हुए मौत
वीरेंद्र कुमार 1976 में द हिसार डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में सचिव के तौर पर कार्यरत थे। 1981 में एक घोटाले के कारण उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। सचिव पर आरोप था कि उन्होंने 13 हजार का घोटाला किया है। 1981 से 2017 तक वीरेंद्र कुमार को बैंक की तरफ से तीन बार बर्खास्त कर दिया गया।
यह आदेश रद्द कर दिया गया। कोर्ट के मुताबिक, यह गड़बड़ी बैंक की तरफ से की गई है। बैंक ने तीनों बार न्याय सिद्धांत का पालन नहीं किया था, जिस कारण आदेश रद्द होते गए और मामला और पेंडिंग होता चला गया।
लेकिन सचिव वीरेंद्र कुमार ने हार नहीं मानी और वह अपने हक की लड़ाई लड़ते रहे और यह लड़ाई उन्होंने अपने मरते दम तक लड़ी। उनके जीवित रहते उनके हक में फैसला नहीं आया, लेकिन मरने के दो साल बाद आखिरकार उनकी लड़ाई सफल साबित हुई। कोर्ट सालों की लड़ाई को बेकार न जाने के लिए कहा कि याची के मर जाने के कारण अब उस पर जांच नहीं की जा सकती। बैंक न्याय कर पाने में पूरी तरह असफल रहा।