हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति इस आधार पर प्रदान की थी कि ट्रायल में बयान से नहीं मुकरने का हलफनामा पेश करें। ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता अपने आरोप से मुकर गई। इसके अलावा आरोपी युवक की DNA रिपोर्ट भी निगेटिव आई थी।

एकलपीठ ने पीड़िता तथा उसके माता-पिता के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही करने के आदेश जारी करते हुए सागर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से उन्हें नोटिस सर्व किए जाने के आदेश दिए थे। जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने तीनों के खिलाफ बुधवार को अपराधिक अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ करते हुए उनके अधिवक्ता का नाम दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं।

गौरतलब है कि नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उसकी मां एक व्यक्ति के घर काम करती थी। उसी घर में आरोपी कपिल लोधी कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करता था। इस दौरान दोनों में दोस्ती हो गई।

आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए। आरोपी ने खुरई ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी। नाबालिग ने 23 अक्तूबर 2023 में आरोपी के खिलाफ सागर जिले के कैंट थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने पॉस्को और दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

याचिका में कहा गया था कि उसके गर्भ में लगभग नौ सप्ताह का भ्रूण है। एकलपीठ ने नाबालिगा पीड़ित को सशर्त गर्भपात की अनुमति प्रदान की है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता तथा उसके माता-पिता विवेचना अधिकारी के समक्ष भी हलफनामा पेश करें कि वह ट्रायल के दौरान अपने आरोपों से नहीं मुकरेंगे।

आरोपी युवक के द्वारा जमानत आवेदन की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पाया कि पीड़ित ट्रायल कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई है। पीड़ित ने अपने बयान में कहा है कि शत्रुतावश उनके आरोपी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म नहीं किया है।

भ्रूण के DNA रिपोर्ट में भी युवक उसके बायोलॉजिकल पिता नहीं पाया गया है। एकलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीड़ित सहित उनके माता-पिता के खिलाफ अपराधिक अवमानना का प्रकरण चलाये जाने के निर्देश जारी करते हुए पुलिस अधीक्षक सागर के माध्यम से नोटिस जारी किए थे। युगलपीठ ने तीनों के खिलाफ अपराधिक अवमानना की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किए।

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