मौके पर करीब डेढ़ हजार ग्रामीण हैं। ओडवाड़ा की पूर्व सरपंच प्रमिला राजपुरोहित ने बताया कि करीब 3 साल पहले गांव के निवासी मुकेश पुत्र मुल्ल सिंह राजपुरोहित और महेन्द्र सिंह पुत्र बाबू सिंह राजपुरोहित के बीच जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था। दोनों भाइयों का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया।

जमीन की नाप हुई तो करीब 440 मकान चारागाह भूमि में पाए गए। इसके बाद कोर्ट के आदेश से 2022 और 2023 में कुछ कच्चे अतिक्रमण हटा दिए थे। कोर्ट के आदेश पर 150 से अधिक कच्चे मकान और करीब 160 बाड़े हटाने को लेकर गांव में मकानों को चिह्नित कर निशान लगाए गए थे।

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