हाईकोर्ट ने Sextortion के मामले में आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि इससे समाज प्रभावित होगा और ऐसे आरोपी रहम के हकदार नहीं हैं। चंद पैसों के लिए पीड़ितों की अंतरंग फोटो और वीडियो का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे गंभीर मामले में आरोपी अग्रिम जमानत के हकदार नहीं हैं।
याचिका दाखिल करते हुए 19 अप्रैल, 2023 को जालंधर में दर्ज एफआईआर में अग्रिम जमानत की मांग की गई थी। आरोप के अनुसार याचिकाकर्ता अंतरंग फोटो व वीडियो के माध्यम से पीड़ितों को ब्लैकमेल करते थे और पैसे वसूलते थे। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अग्रिम जमानत देते हुए अदालत को अपराध की गंभीरता, आरोपी की भूमिका, समाज पर पड़ने वाले प्रभाव और निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच की आवश्यकता पर भी विचार करना चाहिए। फैसला करते समय उसे व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा और सामाजिक हितों की रक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा। अग्रिम जमानत से जांच एजेंसी के स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने के अधिकारों में अनावश्यक रूप से बाधा नहीं आनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं पर आरोप है कि वे किराए के मकान में वेश्यालय चला रहे थे। महिलाएं निर्दोष लोगों को वीडियो कॉल करके ब्लैकमेल कर पैसे वसूलती थीं। एफआईआर में लगाए गए आरोपों और राज्य द्वारा दायर रिपोर्ट में दिए गए कथनों के अनुसार याचिकाकर्ताओं पर यौन शोषण करने वालों का गिरोह चलाने का आरोप है। ऐसे मामले में जहां आरोप Sextortion का है अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है।